बालिका शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के उपाय | bharat mein striyon ki pramukh samasyaon ka varnan kijiye
जैसा कि हम जानते हैं कि एक समाज में पुरुष और महिला एक गाड़ी के दो प्रयोग के समान होते हैं। जिसमें दोनों पहिए जब बराबर तरीके से अपना अपना योगदान देते हैं, तभी समाज एक नई दिशा की ओर लगातार अग्रसर हो सकता है, अन्यथा नहीं।
इसके लिए यह आवश्यक है कि महिला और पुरुष को कम से कम एक समान स्तर तक के बराबर शिक्षा का अधिकार दिया जाए।
लेकिन वर्तमान समय में भी जिसे हम 21वीं शताब्दी के नाम से जानते हैं, महिलाओं की शिक्षा अर्थात बालिका शिक्षा में कई महत्वपूर्ण बाधाएं आती हैं। यदि आप नहीं जानते कि बालिका शिक्षा की प्रमुख समस्याएं क्या है, तो आज के लेख में हम आपको बालिका शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का वर्णन करके बताएंगे कि बालिका शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का वर्णन क्या होगा। तो चलिए शुरू करते हैं:-
बालिका शिक्षा क्यों जरूरी है?
एक समाज को सर्वाधिक उन्नत बनाने के लिए यह आवश्यक है कि उस समाज के दोनों हिस्से यानी कि स्त्री व पुरुष दोनों को बराबर शिक्षा कम से कम एक समान स्तर तक दी जाए। यानी कि जो शिक्षा का अधिकार और शिक्षा के अवसर पुरुष को उपलब्ध है, या महिला को उपलब्ध है वही अवसर दूसरे लिंग के इंसान को भी उपलब्ध करवाई जाए।
इसीलिए यह आवश्यक है कि प्राचीन काल से जिन महिलाओं के अधिकार कुछ ले गए हैं महिलाओं के अधिकार के अंतर्गत बालिका शिक्षा को प्रधानता प्रदान की जाए। क्योंकि जब एक महिला शिक्षा प्राप्त करती है तो उसके साथ साथ पूरा समाज शिक्षा प्राप्त करता है।
एक महिला अपने परिवार को जिसमें उसके माता-पिता का परिवार और उसके सास ससुर का परिवार शामिल है, उन दोनों को शिक्षित करने का काम करती है। इसके साथ साथ वह छोटे बच्चों को भी पढ़ाने का काम करती है। एक महिला की शिक्षा कितना बड़ा योगदान मानव समाज को उन्नत करने में कर सकती है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिन समाज में महिलाओं की शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है उस समाज की उन्नति की मिसाल पूरे विश्व में दी जाती है।
बालिका शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का वर्णन
बालिका शिक्षा में कई ऐसी समस्याएं हैं जो मूल रूप से उभर कर सामने आती है। इसके अंतर्गत गरीबी, बाल विवाह, लैंगिक हिंसा, परिवार का गरीब होना, पुरुष प्रधान समाज होना, इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होना, माता-पिता का व्यवहार, लड़कियों को लेकर गलत धारणाएं, सुरक्षा की कमी, आर्थिक और सामाजिक दबाव, आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियां, यह सभी बालिका शिक्षा में आने वाली महत्वपूर्ण समस्याएं हैं।
इन सभी के अंतर्गत और भी कई ऐसी समस्याएं हैं जो बालिका शिक्षा के प्रति समस्याओं को उत्पन्न करती है। इसके अंतर्गत एक और सबसे बड़ी समस्या यह है कि समाज में बालिकाओं की शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का बहुत बड़ा अभाव देखा जाता है, जो कि पूरे समाज में बालिका शिक्षा का सबसे बड़ा अवरोध तत्व है।
इसके कारण पूरे भारत देश समेत विश्व की जनसंख्या में महिलाओं की जनसंख्या का एक बड़ा वर्ग शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त नहीं कर पाता, इसके अलावा सामान्य तौर पर शैक्षिक अवसरों में भी असमानता देखी जाती है। जैसे कि हमने आपको बताया कि गरीबी एक सबसे बड़ा कारण है, जिसकी वजह से लोग ना केवल महिलाओं की बल्कि पुरुषों की शिक्षा को भी बल नहीं दे पाते हैं।
इसके अलावा प्रत्येक समाज में पढ़ाए जाने वाला दोषपूर्ण पाठ्यक्रम किसी भी शिक्षा को समझने लायक बनाने में दिक्कत खड़ी करता है, जिसकी वजह से महिलाओं की शिक्षा में और बालिकाओं की शिक्षा में हमें कभी देखने को मिलती है।
इसके अलावा दो स्कूल प्रशासन अध्यापकों का अभाव होना आर्थिक समस्या होना, व्यवस्था और तकनीकी समस्या, तथा शिक्षा की कमी होना, महिला बालिका शिक्षा प्रोत्साहन हेतु उठाए गए कदमों में कमी का देखा जाना, यह कई ऐसी समस्याएं हैं बालिका शिक्षा में अवरोध पैदा करती है।
बालिका शिक्षा की प्रमुख चुनौतियां कौन कौन सी है?
बालिका शिक्षा की चुनौतियों को रोकें सरकार बालिका शिक्षा के उत्थान के लिए कई कार्यक्रम चला रही है। रूढ़िवादी रूढ़िवादिता भी बालिका शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी बाधा है। महिलाओं में सामाजिक चेतना का अभाव। एक उचित शिक्षा प्रणाली का अभाव सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
बालिका शिक्षा का उद्देश्य क्या है?
इसे सुनें महिला शिक्षा के उद्देश्य को रोकें जीवन में बेहतर तरीके के लिए बालिकाओं को मजबूत बनाने के लिए। महिलाओं के काम का दायरा बढ़ाना। महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि करना। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
बालिका शिक्षा की वर्तमान स्थिति क्या है?
भारत सरकार ने सभी को शिक्षा प्रदान करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। इसके बावजूद, एशिया महाद्वीप में भारत की महिला साक्षरता दर सबसे कम है। 2001 की जनगणना (स्रोत-भारत 2006, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार) के अनुसार देश की 49.46 करोड़ महिला जनसंख्या में केवल 53.67 प्रतिशत महिलाएँ ही साक्षर थीं।
बालिका शिक्षा में सुधार के लिए हम क्या कर सकते हैं?
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना: कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय बालिका शिक्षा योजना, 2004 में शुरू की गई लड़कियों के लिए एक सरकारी योजना है, जो मुख्य रूप से उच्च प्राथमिक स्तर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के लिए मुफ्त आवासीय विद्यालय की सुविधा प्रदान करती है।
वर्तमान सरकार लड़कियों की शिक्षा कैसे बढ़ाती है?
बालिका समृद्धि योजना समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में लड़कियों का समर्थन करने के लिए केंद्र सरकार की एक और योजना है। यह योजना प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में लड़कियों के नामांकन और प्रतिधारण को सुनिश्चित करती है।
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निष्कर्ष
आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया (बालिका शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए | balika shiksha ke pramukh samasyaon ka varnan kijiye) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।
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