कानूनी अधिकार कितने प्रकार के होते हैं?
कानून अधिकार कितने प्रकार के होते हैं? | kanuni adhikar kitne prakar ke hote hain
दोस्तों कानून क्या होता हैं (Kanoon Kya Hota Hai) ये तो हम सभी जानते हैं, लेकिन कानूनी अधिकार क्या है (Kanuni Adhikar Kya Hota Hai) ये बहुत सारे लोग नहीं जानते हैं, और इस प्रश्न का सही उत्तर ना पता होने के कारण उनको बहुत सारी जगहों पर मौन रहना पड़ता हैं।
यदि आप भी इंटरनेट पर Adhikar Kya hai और कानूनी अधिकार कितने प्रकार के होते हैं (Kanuni Adhikar Kitne Prakar ke hote Hain) सर्च कर रहे थे तो आप सभी के लिए हमने रामबाण ला दिया हैं।
क्युकी आज के इस ब्लॉग पोस्ट में मैं आप लोगो को बताने वाला हूं की अधिकार क्या होता हैं, कानूनी अधिकार क्या होता हैं और साथ ही Kanuni Adhikar Kitne Prakar ke hote Hain और इनसे मिलता जुलता कई सारे और प्रश्नों के उत्तर मैं आपलोगों को इस पोस्ट में देने वाला हूं।
अधिकार क्या है? (Adhikar Kya Hai)
अधिकार जिसे इंग्लिश में (Rights) कहते हैं, एक व्यक्ति या समूह के लोगों को कुछ करने या ना करने का विशेषाधिकार होता हैं जिसमे उन्हे आजादी होती हैं।
अधिकार को आसान भाषा में हक या हकदार भी कहा जाता हैं, जैसे की लोग कहते हैं मनुष्य को अपने हक (अधिकार) के लिए लड़ना पड़ता हैं।
मनुष्य को इस धरती पर अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओ की आवश्यकता पड़ती ही हैं जो उन्हें अक्सर समाज से मिल रहा होता और इसी को अधिकार कहते हैं।
बहुत सारे लोग अधिकार को सामाजिक दावा भी कहते हैं और यह एक ऐसा दावा हैं जिसका औचित्य सिद्ध हो क्युकी यह हमे बताता है की नागरिक होने के नाते हम किस चीज के हकदार हैं।
अधिकार कितने प्रकार के होते हैं? (Adhikar Kitne Prakar ke Hote Hain)
संविधान के अनुसार अधिकार 6 प्रकार के होते हैं और वो हैं:-
- समानता का अधिकार (Right to Equality)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against Exploitation)
- स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Religious Freedom)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)
- सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार (Cultural and Educational Rights)
वहीं, बात करें मानव अधिकार की तो वो भी 6 प्रकार के ही होते हैं और वो हैं;
- प्राकृतिक अधिकार (Natural rights)
- नागरिक अधिकार (Civil rights)
- नैतिक अधिकार (Moral rights)
- मौलिक अधिकार (Fundamental rights)
- कानूनी अधिकार (Legal rights)
- आर्थिक , सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार (Economic, social and cultural rights)
और इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानने वाले हैं कानूनी अधिकार क्या है और कानूनी अधिकार कितने प्रकार के होते हैं।
कानूनी अधिकार क्या हैं? (Kanuni Adhikar kya Hai)
कानूनी अधिकार (Legal Rights) एक अधिकार हैं जो कानून के अंतर्गत आने वाले लोग बनाते हैं और फिर इसको राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त करवाया जाता हैं।
यह किसी भी व्यक्ति को कोई काम या व्यवहार करने या ना करने की अनुमति देता हैं और इसको कानून द्वारा बनाया जाता हैं जिसको पालन ना करने पर या उल्लंघन करने पर दंड भी दिया जाता हैं।
कानूनी अधिकार बाकी सभी अधिकारों में से अलग हैं और इसके अंतर्गत बहुत सारे अधिकार आते हैं, जैसे की;
- स्वतंत्रता का अधिकार
- धर्म का अधिकार
- समानता का अधिकार
- धन और संपत्ति का अधिकार
- शिक्षा प्राप्ति का अधिकार
साथ ही इन जैसे कई और अधिकार हैं जो कानून के दायरे में आते हैं और इनको कानूनी अधिकार के प्रकार (Types of legal rights) भी कह सकते हैं।
कानूनी अधिकार कितने प्रकार के होते हैं? (Kanuni Adhikar Kitne Prakar ke Hote Hain)
इंटरनेट पर रिसर्च के दौरान पता लगा की बड़े बड़े लोगों का भी कहना हैं की कानूनी अधिकार दो प्रकार के होते हैं जिसके बारे में हम सभी को पता होना चाहिए, और वो हैं;
- सामाजिक अधिकार (Social Rights)
- राजनीतिक अधिकार (Political Rights)
कानूनी अधिकारों का महत्व
वैसे तो कानूनी अधिकारों के बहुत सारे महत्व है, लेकिन ये सारे कुछ ख़ास हैं;
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता : कानूनी अधिकार हर एक व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता और सुरक्षा से जीवन जीने का अधिकार देते हैं।
- समानता : कानूनी अधिकार सभी व्यक्तियों को कानून के नजरिए से समानता का अधिकार देते हैं, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग, या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
- न्याय : कानूनी अधिकार सभी लोगों को न्याय का अधिकार देते हैं, ताकि वे कानून के तहत उचित व्यवहार प्राप्त कर सकें।
- समाजिक विकास : कानूनी अधिकार सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देते हैं, जिससे समाज का विकास हो सके।
सामाजिक अधिकार क्या होता हैं? (Samajik Adhikar kise Kahte Hai)
आसान शब्दों में कहें तो सामाजिक अधिकार (Social rights) वो अधिकार हैं जो समाज में रहने वाले लोगों के हितों के लिए बनाया जाता हैं और जिसके बिना समाज में रहने वाले लोगों का विकास नहीं हो सकता।
सामाजिक अधिकार के अंतर्गत आने वाले अधिकारों में से सबसे महत्वपूर्ण हैं जीवन का अधिकार , और जीवन का अधिकार का अर्थ हैं लोगो को अपना जीवन जीने की आजादी , और इन सब चीजों की निगरानी करना और समाज के लोगों का सुरक्षा करना राज्य का काम होता हैं।
समाज में रहते हुए लोगों के हितों के लिए जो फैसले लिए जाते हैं उन्हें ही सामाजिक अधिकार (Samajik Adhikar) कहा जाता हैं।
सामाजिक अधिकार को बनाने और संचालित करने का एक उद्देश्य हैं लोगों की सामाजिक जरूरतों को पूरा करना और समाज में एकता को बढ़ावा देना।
सामाजिक अधिकार के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं और वो हैं:
अच्छी शिक्षा , भोजन , स्वास्थ, सामाजिक सुरक्षा , पानी , एक अच्छा घर और काम करने की आजादी।
राजनीतिक अधिकार क्या हैं? (Political Rights in Hindi)
राजनीतिक अधिकार (political rights) एक ऐसा अधिकार हैं जो लोगों को राजनीतिक प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम बनाती हैं, जैसे की वोट देने का अधिकार और खुप कर बोलने की आजादी।
यह एक ऐसा Fundamental Rights हैं जो लोकतांत्रिक समाज के लिए और लोगों के लिए भी काफ़ी जरूरी हैं , क्युकी राजनीतिक अधिकार हमे अपनी बात को व्यक्त करने और किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर खुल कर अपना पक्ष रखने की आजादी देता हैं।
राजनीतिक अधिकार हर एक नागरिक को अपने राज्य में बिना किसी छुआछूत या भेदभाव के नागरिक और सामाजिक कल्याणों में भाग लेने की छमता प्रदान करता हैं।
राजनीतिक अधिकार के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं और वो हैं:
वोट देना , चुनाव लड़ना, चुनाव में खड़ा होना , राजनीतिक पार्टियां बनाना या फिर अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेना।
निष्कर्ष
तो दोस्तों ये था हमारा आज का एक काफ़ी बेहतरीन आर्टिकल जिसमे हमने आपको बताया की अधिकार क्या होता हैं (adhikar kya hai) , कितने प्रकार के होते हैं और साथ ही अधिकार का आदर्शवादी सिद्धांत क्या हैं।
अगर आप भी आज के पहले गूगल पर सर्च करते थे कानून क्या होता हैं, कानूनी अधिकार कितने प्रकार के होते हैं तो मेरे खयाल से आपको आपके सवाल का बेहतरीन जवाब इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद मिल गया होगा।
अगर आपको हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगा और इससे कुछ भी नया सीखने को मिला तो इसे अपने दोस्तो के साथ और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर जरूर करें।
कानून कितने प्रकार के होते हैं?
भारत देश में कुल 5 प्रकार के कानून हैं जिनके अंदर कई सारे अन्य कानून आते हैं और वो हैं सामान्य कानून , धार्मिक कानून , नागरिक कानून , प्रथागत कानून और कॉरपोरेट कानून।
मौलिक अधिकार क्या होता हैं?
मौलिक अधिकार ( Fundamental Rights in Hindi ) एक ऐसा अधिकार हैं जो लोगों के हित के लिए बनाया जाता हैं और ये आवश्यक भी होता हैं क्युकी यह अधिकार उन्हे बौद्धिक , नैतिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित होने में मदद करता हैं।
Kanuni Adhikar ko Kitne Bhagon Me Banta Ja Sakta Hai?
भारतीय संविधान के अनुसार कानूनी अधिकार को 6 मौलिक अधिकार भागों के बाटा जा सकता है और वो हैं स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, सांस्कृतिक अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार।