मानव शरीर में कितने तंत्र होते हैं?
How many systems are there in the human body in Hindi?

नमस्कार दोस्तों, जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि हमारा शरीर कई अलग-अलग प्रकार के तंत्रों से मिलकर बना हुआ होता है, इसके अलावा हमारे शरीर के अंतर्गत हमें अलग-अलग प्रकार के अनेक चीजें देखने को मिलती है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि मानव शरीर में कितने तंत्र होते हैं उन तंत्रों का क्या कार्य होता है (manav sharir mein kitne tantra hote hain), तथा उनका क्या महत्व होता है। यदि आपको इस सवाल का जवाब मालूम नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
मानव शरीर में कितने तंत्र होते हैं?
यदि आप बायोलॉजी विषय के अंतर्गत रूचि रखते हैं, या फिर आप बायोलॉजी विषय को पढ़ते हैं, तो आपने मानव शरीर के बारे में जब भी पढ़ा होगा, तो आपने अक्सर यह जरूर सुना होगा, कि हमारा मानव शरीर कई अलग-अलग प्रकार के तंत्रों अंगों तथा अनेक चीजों से मिलकर बना होता है, हर एक चीज की अपनी विशेषता होती है, हर एक चीज का अपना एक कार्य होता है। यानी कि हम कह सकते हैं कि मानव शरीर की संरचना काफी ज्यादा जटिल होती है तथा उसको समझना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है तथा आपको काफी ज्यादा मेहनत ही करनी पड़ती है।
उन्हीं की सूची के अंतर्गत हमारे शरीर के अंतर्गत मानव तंत्र शामिल होते हैं हमारे शरीर के अंतर्गत अलग-अलग प्रकार के पाए जाते हैं, जिनके अंदर मुख्य रूप से पाचन तंत्र, परिसंचरण तंत्र, अंतः स्रावी तंत्र, उत्सर्जन तंत्र, प्रजनन तंत्र, तंत्रिका तंत्र, स्वर्ण तंत्र, कंकाल तंत्र और मांसपेशी तंत्र का नाम आता है।
1. पाचन तंत्र
दोस्तों पाचन तंत्र हमारे शरीर के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण तंत्रों में से एक होता है। यह एक प्रकार की काफी लंबी तथा काफी जटिल प्रक्रिया होती है, जो पाचन तंत्र के द्वारा की जाती है। आपने अक्सर सुना होगा कि जब भी हम भोजन करते हैं, तो उसका हमारी सैलरी के अंतर्गत पाचन होता है, तथा उसमें से उर्जा को हमारे शरीर के विभिन्न भागों तक भेज दिया जाता है, इसके अलावा अपशिष्ट पदार्थ को हमारी शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। हमारे शरीर के अंतर्गत पाचन तंत्र का कार्य जब हम अपने मुंह से कोई भी चीज खाते हैं तब से ही शुरू हो जाता है, तथा उसके बाद यह प्रक्रिया चलती रहती है।

जब भी हम कोई भोजन खाते हैं तो हमारे मुंह के द्वारा उस भोजन को कई अलग-अलग टुकड़ों के अंतर्गत तोड़कर मुंहासे पेट के अंतर्गत भेजा जाता है, उसके बाद बातों से होते हुए बाहर निकल जाता है। यह एक लंबी प्रक्रिया होती है तथा इस प्रक्रिया के अंतर्गत हमारे भोजन से आवश्यक तत्व निकाल लिए जाते हैं तथा अपशिष्ट पदार्थ को आगे भेज दिया जाता है।
इस प्रक्रिया में पाचन तंत्र के कई अलग-अलग अंग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिसके अंतर्गत मुख्य रूप से मुख, ग्रास नली, (जिसको भोजन नली भी कहा जाता है), पेट, छोटी आंत और बड़ी आंत का नाम आता है।
इसके अलावा हमारे शरीर के पाचन तंत्र में कई अलग-अलग प्रकार की ग्रंथियां भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिनके अंतर्गत मुख्य रूप से लार ग्रंथि, यकृत ग्रंथि और अग्रसाय ग्रंथि का नाम शामिल है।
2. स्वसन तंत्र
श्वसन तंत्र का नाम भी हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण तंत्रों की सूची के अंतर्गत आता है। हमारे मानव शरीर को जीवित रहने के लिए लगातार सांस लेने की आवश्यकता होती है जिसके अंतर्गत हम सौरमंडल से ऑक्सीजन गैस को अपने शरीर के अंतर्गत लेते हैं, तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस को बाहर निकाल देते हैं, यह पूरी प्रक्रिया स्वसन तंत्र के द्वारा ही होती है, तो ऐसे में सवसन तंत्र हमारे शरीर में पता हमारे जीवित रहने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह तंत्र मानव शरीर के अंतर्गत ऑक्सीजन को पहुंचाता है तथा उसके बाद अपशिष्ट पदार्थ के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड तथा पानी को बाहर निकालता है।
स्वसन तंत्र दो प्रकार के होते हैं, जिनके बारे में आपको नीचे जानकारी दी गई है :-
बाहरी स्वसन
इस प्रक्रिया के अंतर्गत हमारा शरीर फेफड़ों और रक्त के अंतर्गत कार्बन डाई ऑक्साइड तथा ऑक्सीजन का आदान प्रदान करता है, ज्ञानी किस प्रक्रिया के अंतर्गत या फिर बाहरी स्वसन के दौरान ऑक्सीजन को हमारे शरीर के रक्त तक पहुंचाया जाता है, और कार्बन डाइऑक्साइड को हमारे शरीर के रक्त से बाहर निकाला जाता है।
इस स्वसन के अंतर्गत हमारे फेफड़े प्रमुख भूमिका निभाते हैं, हमारे फेफड़ों के अंतर्गत की ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान होता है, जिसके अंतर्गत हमारे रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड फेफड़ों में आती है, तथा फेफड़ों के द्वारा बाहर निकाली जाती है, तथा फेफड़ों के द्वारा बाहर से ली गई ऑक्सीजन रक्त में भेज दी जाती है।
आंतरिक स्वसन
इस अनशन के अंतर्गत ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान कोशिकाओं तथा रक्त के बीच होता है।
यानी कि इस प्रक्रिया के दौरान रक्त ऑक्सीजन को मानव शरीर के अलग-अलग उतको को तथा अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाता है, इसके अलावा वहां से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त कर लेता है।
तो इस प्रकार से स्वसन तंत्र की प्रक्रिया गोकुल दो भागों के अंतर्गत बांटा गया है।
3. परिसंचरण तंत्र
जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि हमारे शरीर के अंतर्गत जो भी ऊर्जा होती है जो कि हमें भोजन तथा अन्य पोषक तत्वों से प्राप्त होती है इसके अलावा हमारे शरीर के अंतर्गत जो भी ऑक्सीजन जाती है उसको हमारे शरीर के अंतर्गत रक्त के द्वारा अलग-अलग भागों तक पहुंचाया जाता है, तो इस प्रक्रिया के दौरान हमारे हाथ के द्वारा रक्त को अलग-अलग भागों तक पहुंचाया जाता है, और इसी प्रक्रिया को परिसंचरण तंत्र कहा जाता है।

परिसंचरण तंत्र के अंतर्गत हमारे रक्त के अंतर्गत मिला हुआ ऑक्सीजन तथा पहुंचे हुए भोजन से जो भी पोषक तत्व हार्मोन तथा एंजाइम प्राप्त होते हैं, उनको रक्त के द्वारा शरीर के अलग-अलग भागों तक पहुंचाया जाता है।
उसके बाद हमारे शरीर के अंतर्गत जो भी अपशिष्ट होता है, जिसके अंतर्गत मुख्य रूप से यूरिया तथा कार्बन डाइऑक्साइड का नाम आता है, तो इन पदार्थों को रक्त के द्वारा हमारे शरीर से बाहर निकालने का काम किया जाता है। जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड रक्त हमारे फेफड़ों तक पहुंचाता है, तथा यूरिया को हमारी किडनी तक पहुंचाता है।
मानव शरीर के अंतर्गत अलग-अलग प्रकार की रक्त वाहिकाएं होती है जिनके माध्यम से रक्त का आदान-प्रदान होता है, तथा यह रक्त इन रक्त वाहिकाओं के माध्यम से हाथ के द्वारा पहुंचाया जाता है, हार्ट एक पंप की तरह कार्य करता है।
हमारे शरीर में मुख्य रूप से तीन प्रकार की रक्त वाहिकाएं पाई जाती है, जिनके अंतर्गत धनिया नशे और केशिका का नाम आता है।
4. उत्सर्जन तंत्र
उत्सर्जन तंत्र भी हमारे शरीर के अंतर्गत एक अति महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, तथा मानव शरीर का एक काफी प्रमुख अंतर होता है। उत्सर्जन तंत्र के माध्यम से हमारे शरीर के अंतर्गत उपस्थित अपशिष्ट को मूत्र के माध्यम से हमारे शरीर से बाहर निकालने का कार्य किया जाता है।

हमारे शरीर के अंतर्गत जितने भी नाइट्रोजन अपशिष्ट होते हैं, जिनके अंतर्गत मुख्य रूप से यूरिया का नाम आता है उनको इसी उत्सर्जन तंत्र के माध्यम से मूत्र की सहायता से हमारे शरीर से बाहर निकाला जाता है।
यह प्रक्रिया हमारे शरीर के अंतर्गत उपस्थित दो किडनी से शुरू होती है, जिनके अंतर्गत रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रक्त पहुंचता है, तथा उनमें से नाइट्रोजन अपशिष्ट को हमारी किडनी के अंतर्गत फिल्टर कर कर रख लिया जाता है, तथा बाकी शुद्ध रक्त को बाहर निकाल दिया जाता है। और उसके बाद उस अपशिष्ट को हमारे शरीर की मूत्र नलिका से होते हुए नर तथा मादा के उत्सर्जन तंत्र से बाहर निकाल दिया जाता है।
और इस प्रकार से यह मूर्ति विसर्जन या फिर उत्सर्जन तंत्र की प्रक्रिया कार्य करती है।
5. प्रजनन तंत्र
मानव प्रजाति को आगे बढ़ाने के लिए या फिर किसी भी अन्य प्रजाति को आगे बढ़ाने के लिए प्रजनन तंत्र काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि प्रजनन तंत्र के बिना किसी भी प्रजाति को आगे नहीं बढ़ाया जाता है।

आसान भाषा में कहा जाए तो मनुष्य के द्वारा बच्चे पैदा करना या फिर संतान उत्पन्न करने की प्रक्रिया को ही प्रजनन तंत्र कहा जाता है।
प्रजनन के अंतर्गत नर तथा मादा दोनों की अपनी-अपनी अलग अलग भूमिका रहती है। मानव मानव शरीर की संरचना के अनुसार दोनों का अपना अलग अलग रहता है। जिसके अंतर्गत नर शरीर से शुक्राणु को माता के अंतर्गत भेजा जाता है, उसके बाद मादा शरीर के अंतर्गत बच्चे की उत्पत्ति होती है, तथा 9 महीने के पश्चात बच्चे की डिलीवरी होती है। इसी तरह से यह मानव पर स्वतंत्र कार्य करता है।
6. कंकाल तंत्र
हमारे शरीर को जोड़े रखने में तथा हमारे शरीर का एक स्ट्रक्चर बनाने के अंतर्गत कंकाल तंत्र की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब भी हम किसी चीज का निर्माण करते हैं, तो सबसे पहले उसका एक ढांचा तैयार किया जाता है, तथा उसी ढांचे के ऊपर उसका निर्माण किया जाता है।

उसी प्रकार से मानव शरीर का भी एक ढांचा होता है, जो अलग-अलग प्रकार की हड्डियों से मिलकर बना हुआ होता है, उसी को मानव कंकाल कहा जाता है। हमारे शरीर के अंतर्गत अलग-अलग प्रकार की कुल 206 हड्डियां पाई जाती है, तथा उन हाडियो को मिलाकर हमारे शरीर का एक ढांचा तैयार होता है, तथा यह हमारे शरीर अरे एक ही शेर को आपस में जोड़े रखता है। और इसी के कारण मानव शरीर का निर्माण हो पाता है।
तो ऐसे में कंकाल तंत्र मानव शरीर की संरचना तथा मानव शरीर के अंतर्गत अपनी एक काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
7. नियंत्रण या समन्वय तंत्र
जैसा की आप सभी लोगों ने अक्सर यह सुना होगा, कि हमारे पूरे शरीर को हमारे दिमाग के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। उदाहरण के लिए जब भी हमें किसी भी व्यक्ति को कुछ बोलना होता है, तो हमारे दिमाग के द्वारा हमारे मुंह तक सिग्नल भेजा जाता है, कि आपको यह बोलना है इसके अलावा हमें चलना होता है, तो हमारे दिमाग के द्वारा ही हमारे पैरों तक सिग्नल भेजा जाता है, इसके अलावा हमारे शरीर के अंतर्गत जो भी एक्टिविटी या फिर जो भी कार्य होता है, उसके लिए हमारे दिमाग के द्वारा ही सिग्नल भेजा जाता है।

इस प्रकार से हमारे शरीर के अंतर्गत हर एक कार्य दिमाग के द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है, यानी कि हमारे पूरे शरीर को ही दिमाग के द्वारा नियंत्रित किया जाता है, और इसी प्रक्रिया को नियंत्रण या समन्वय तंत्र कहा जाता है।
समुद्र में तंत्र के अंतर्गत हमारे मस्तिक के साथ-साथ कई अलग-अलग ऐसे अंग होते हैं, जो इस प्रक्रिया को पूरा होने में अपनी भूमिका निभाते हैं।
तो दोस्तों यहां पर हमने आपको मानव शरीर के 7 सबसे प्रमुख तंत्रों के बारे में जानकारी दी है, इसके अलावा भी हमारे शरीर में कई अलग-अलग प्रकार के तंत्र पाए जाते हैं, जिनका अपना योगदान रहता है, तथा अपनी भूमिका रहती है, लेकिन हमने यहां पर आपको महत्वपूर्ण तंत्र के बारे में विस्तार से बताया है, कि वह किस तरह से कार्य करते हैं तथा उनका हमारे शरीर में क्या योगदान रहता है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपने जाना कि मानव शरीर में कितने तंत्र होते हैं, हमने आपको कई अलग-अलग तंत्रों के बारे में विस्तार से समझाया है, कि वह क्या तंत्र होते हैं, उनका क्या योगदान होता है, उनका क्या कार्य होता है तथा वह किस तरह से अपना कार्य करते हैं। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है।
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