योगशील प्रतिक्रिया क्या है? | Yogsheel pratikriya kya hai
योगशील प्रक्रिया क्यों होती है? | Why Addictive Reaction Happens?
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दोस्तों, यदि आप रसायन विज्ञान पढ़ते हैं तो आपने जरूर ही योगशील प्रतिक्रिया के बारे में सुना होगा। योगशील प्रतिक्रिया रसायन विज्ञान में अत्यंत महत्वपूर्ण लेकिन रसायन विज्ञान के अलावा फिजियोलॉजी पढ़ते समय हमारे काफी अधिक काम आती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह Yogsheel pratikriya kya hai? यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं, क्योंकि आज मैं आपको योगशील प्रक्रिया के बारे में सारी जानकारी विस्तार से देने वाले हैं।
आज हम आपको बताएंगे कि Yogsheel pratikriya kya hai? योगशील प्रक्रिया किस प्रकार कार्य करती है, योगशील प्रक्रिया के फायदे क्या है, योगशील प्रक्रिया किस प्रकार मदद कर सकती है, तो चलिए शुरू करते हैं
योगशील प्रतिक्रिया क्या है? | Yogsheel pratikriya kya hai
योगशील प्रतिक्रिया एक रसायन विज्ञान के अंतर्गत आने वाली प्रक्रिया है इस प्रतिक्रिया / अभिक्रिया के अंतर्गत एक अणु अन्य किसी अणु के साथ मिलकर एक बड़ा अणु बना लेता है। इस प्रक्रिया को योगशील प्रक्रिया, योगशील प्रतिक्रिया भी कहा जा सकता है।
आमतौर पर योगशील प्रतिक्रिया एक उन्मूलन प्रतिक्रिया के बिल्कुल उल्टी है, अर्थात इस प्रक्रिया के अंतर्गत सामान्य दोहरे बंधन वाले अणु आपस में जुड़ जाते हैं। एक नए अणु का निर्माण करते हैं जो कि दोनों से काफी बड़ा होता है।
इसके उदाहरण के तौर पर हम भी समझ सकते हैं कि दोहरे बंधन के पानी का जोड़ और इसके अलावा कार्बोनेल में न्यूक्लियोफिलिक का हमला योग श्री प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा सकता है।
योग श्री प्रतिक्रिया केवल तभी हो सकती है जब दोनों में से किसी एक अणु में पहले से तिहरा बंधन हो, अर्थात जब किसी का मन होगा तभी वह किसी और के साथ संगम बना पाएगी। ऐसा करने के लिए कार्बन-कार्बन बॉन्ड, कार्बन-ऑक्सीजन बॉन्ड, तथा कार्बन-नाइट्रोजन बॉन्ड भी देखा जा सकता है इसके कुछ उदाहरण है।
योगशील प्रक्रिया क्यों होती है? | Why Addictive Reaction Happens?
योगशील प्रतिक्रिया के होने के पीछे एक बड़ी वजह न्यूक्लियोफाइल तथा इलेक्ट्रोफाइल अणु है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत कोई एक अणु नया बंधन बनाने के लिए दूसरे अणु को अपना एक Electron देता है।
दूसरा Electron उस अणु के द्वारा दिए गए Electron को प्राप्त करता है, और अणु के साथ में बंधन बनाता है। इन दोनों ऑडियो को Nucleophile तथा Electrophile के नाम से जाना जाता है। Nucleophile Electron देता है और Electrophile Electron प्राप्त करता है।
हमेशा भी समझ सकते हैं कि यह अपने आप में कार्बनिक प्रक्रिया है, और जहां भी दो से अधिक अणु आपस में मिलकर एक बड़ा अणु बनाते हैं, वहां पर योगशील प्रतिक्रिया अपने अस्तित्व में आ जाती है।
एल्कोहल में एल्केन को मिलाने से निर्जलीकरण के द्वारा उसे पलट दिया जाता है। यह उदाहरण योग शील अभिक्रिया का एक अच्छा उदाहरण है। Yogsheel शब्द का मूल रूप से दो भागों में बांटा गया है – जिसमें इलेक्ट्रोफिलिक एडिशन तथा न्यूक्लियोफिलिक एडिशन के नाम से इसे जाना जा सकता है।
यह प्रतिकक्रिया polymerization के प्रक्रिया से भी सामने आ जाती है, और polymerization के दौरान होने वाली प्रक्रिया को polymerization एडिशन के नाम से जाना जाता है।
Polymerization प्रतिक्रिया या योग श्री प्रतिक्रिया के दौरान अनिवार्य रूप से रिवर्स अपघटन की प्रतिक्रिया भी घटने लगती है। ऐसी प्रतिक्रिया के द्वारा एक या एक से अधिक तत्व आपस में मिलकर योग्य का निर्माण करते हैं।
योगशील प्रक्रिया के क्या फायदे हैं? | yogsheel pratikriya ke kya fayde hai
योगशील प्रतिक्रिया के अपने-अपने कई सारे फायदे हैं, और इन फायदों के अंतर्गत संयोजन को सकारात्मक रूप से देखा जाता है। यह आमतौर पर काम में आती है जब ट्रिपल बॉन्ड बनाना होता है, ऐसा करके अणु अपनी प्रतिक्रिया देते हैं।
- योगशील प्रतिक्रिया के द्वारा रिवर्स अपघटन की प्रक्रिया भी हो सकती है।
- योगशील प्रतिक्रिया के द्वारा योगिकों का निर्माण होता है।
- योगिक मिलकर विभिन्न प्रकार की दवाइयों में तथा अन्य कई तत्वों में अपनी मुख्य भूमिका निभाते हैं।
- ट्रिपल बांड के कारण हाइड्रोकार्बन भी योग्य प्रतिक्रिया का भाग बन सकते हैं और ब्रह्मांड में हाइड्रो कार्बन की मात्रा सर्वाधिक है।
- युग शिल्पी टिकरिया के द्वारा पॉलीमराइजेशन की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ जाती है जो कि एक अच्छी बात है।
- योगशील प्रतिक्रिया उन्मूलन की प्रतिक्रिया की उल्टी है क्योंकि एकीकरण या योग शिविर प्रतिक्रिया के लिए एल्कोहल के लिए एल्केन का जलयोजन और निर्जलीकरण कर दिया जाता है।
- योगिक प्रतिक्रिया को या योगशील प्रतिक्रिया को संकलन अभिक्रिया भी कहा जाता है।
- संकलन अभिक्रिया कार्बनिक अभिक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक अणु मिलकर एक बड़े अणु का निर्माण करते हैं।
- संकलन अभिक्रिया एक एक एकल आबंध वाले अणु पर काम नहीं करती इसके लिए बहू आबंध अणु चाहिए होते हैं।
- विज्ञान ने विलोपन अभिक्रिया तथा संकलन अभिक्रिया को मूल रूप से दो भागों में बांटा है, जिसे Electrophilic संकलन तथा नाभिकरागी संकलन के नाम से जाना जाता है।
- यह मुक्त मूलन संकलन के नाम से भी जाना जाता है, और चकरी संकलन भी इसका एक प्रकार होता है इन सभी संकलनों को संकलन बहुलीकरण कहा जाता है।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको Yogsheel pratikriya kya hai? इसके बारे में जानकारी दी है। हम आशा करते हैं कि आप समझ चुके होंगे Yogsheel pratikriya kya hai.
यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं। उम्मीद करते हैं आपको आर्टिकल अच्छा लगा होगा। यदि अच्छा लगा हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।
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