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स्वामी विवेकानंद के ये 25 मूल्यवान विचार आपके जीवन में उत्साह भर देंगे

स्वामी विवेकानंद का शिक्षा में योगदान | swami vivekananda education in hindi

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स्वामी विवेकानंद जी को भारत का सर्वश्रेष्ठ विद्वान माना जाता है। स्वामी विवेकानंद शास्त्र वेद के प्रख्यात विद्वान थे, और श्री रामकृष्ण परमहंस उनके गुरु थे। स्वामी विवेकानंद की शिक्षा को आधार मानकर वर्तमान समय में कई शिक्षक प्रेरणा लेते हैं, और सफलता के मार्ग को जानने के लिए स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षा काफी महत्वपूर्ण है।

इसलिए यदि आप जानना चाहते हैं कि स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार क्या ,है तो आज के लेख में हम आपको समय में स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार (educational thoughts of swami vivekananda in hindi) के बारे में सारी जानकारी देंगे।

स्वामी विवेकानंद कौन थे?

स्वामी विवेकानंद हिंदुस्तान के एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व और विद्वान् थे। इसके अलावा स्वामी विवेकानंद को एक दार्शनिक, लेखक, धार्मिक शिक्षक, और भारतीय रहस्यवादी के रूप में जाना जाता है। उनके गुरु के रूप में उन्हें रामकृष्ण जी परमहंस का सानिध्य प्राप्त हुआ था।

पश्चिमी दुनिया में वेदांगों के बारे में और योग के बारे में शिक्षा देने का काम सबसे पहले स्वामी विवेकानंद जी ने ही किया था। स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था और 4 जुलाई 1992 को उनका देहांत हुआ था। स्वामी विवेकानंद जी को लोगों में धार्मिक जागरूकता बढ़ाने और हिंदू धर्म को एक प्रमुख विश्व धर्म की स्थिति में लाने का श्रेय भी दिया जाता है।

1893 में शिकागो में हुई धर्म संसद के बाद उन्हें विश्व भर में जाना जाने लगा। हिंदू धर्म संसद में उन्होंने अमेरिका में लोगों को ‘अमेरिका के बहनों और भाइयों’ के नाम से संबोधित किया, और उनका भाषण इतना प्रभावशाली था कि उन्हें एक अमेरिकी अखबार में ‘ईश्वरीय अधिकार से एक वक्ता, तथा संसद में सबसे बड़ी हस्ती’ के रूप में नामित किया गया।

इसके पश्चात स्वामी विवेकानंद जी ने इंग्लैंड अमेरिका यूरोप में भी कई सैकड़ों भाषण दिए, और हिंदू धर्म दर्शन के मूल सिद्धांतों का प्रचार प्रसार किया। उन्होंने वेदांत सोसाइटी ऑफ नियर की स्थापना भी की।

स्वामी विवेकानंद के शिक्षा पर विचार

स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षा पर यह विचार उनके कदमों से समझा जा सकता है। यह सभी कथन स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा कहे गए थे:-

swami vivekananda education in hindi
स्वामी विवेकानंद के शिक्षा पर विचार | swami vivekananda thoughts on education in hindi
  • उठो जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक मत रुको।
  • मुझे ज्ञान के रूप में ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र बने, और मस्तिष्क के साथ-साथ मानसिक विकास हो, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके।
  • जिस अभ्यास से मनुष्य की इच्छा शक्ति और प्रकाशित होकर फलदाई बन सकती है उसी अभ्यास का नाम शिक्षा है।
  • वह समस्त ज्ञान चाहे वह अलौकिक हो, अध्यात्मिक हो मनुष्य के मन में है, परंतु प्रकाशित ना होकर ढका हुआ रहता है तो उसे बाहर लाने के लिए अध्ययन का इस्तेमाल किया जाता है। अध्ययन उसे धीरे-धीरे उजागर करता है।
  • विद्यार्थी की आवश्यकता अनुसार शिक्षक को विद्यार्थी की शिक्षा में परिवर्तन करना चाहिए।
  • एकाग्रता एकमात्र ज्ञान की प्राप्ति का मार्ग है।
swami vivekanand ke shaikshik vichar
  • एकाग्रता की शक्ति ही ज्ञान के खजाने की एकमात्र कुंजी है।
  • ज्ञान का दान मुक्त हस्त होकर बिना कोई धाम यह करना चाहिए।
  • गुरु के प्रति विश्वास, नम्रता, विनय, और श्रद्धा के बिना हम में धर्म का भाव पनप नहीं सकता।
  • अधिकांश महापुरुषों को सुख की अपेक्षा दुख और संपत्ति की अपेक्षा दरिद्रता ने अधिक शिक्षा दी है।
  • हम स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करते हैं।
  • जब मन को एकत्रित करके ऊपर लगाया जाता है तो हमारे शरीर के भीतर के सभी हमारे नौकर बन जाते हैं।
  • मनुष्य जैसा सोचता है वैसा बन जाता है।
  • आत्मविश्वास मानवता का सबसे शक्तिशाली अंग है।
  • शिक्षक यानी कि गुरु के व्यक्तिगत जीवन के बिना कोई शिक्षा नहीं हो सकती।
  • शिष्य के लिए आवश्यकता है, शुद्धता, ज्ञान की सच्ची लगन के साथ परिश्रम।
  • मस्तिष्क में अनेक तरह के ज्ञान पढ़ लेना उससे कुछ काम में ले लेना और जन्म भर वाद-विवाद करते रहना का नाम शिक्षा नहीं है।
  • शिक्षा और मेहनत एक सुनहरी चाबी होती है जो बंद भाग्य के दरवाजे को आसानी से खोल देती है।
  • यदि गरीब लड़का शिक्षा के लिए नहीं आ सकता तो शिक्षा को उसके पास जाना ही चाहिए।
  • ज्ञान स्वयं में वर्तमान है मनुष्य केवल का आविष्कार करता है।
  • जब तक जीना है, तब तक अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
  • तब तक आपको कोई शिक्षित नहीं कर पाएगा जब तक आप स्वयं से प्रयास नहीं करेंगे।
  • महिलाओं को ऐसी शिक्षा मिलनी चाहिए जो उन्हें आत्मनिर्भर बना सके, और अपनी समस्या का खुद हल करने में समर्थ बन सके, उन्हें आदर्श चरित्र का विकास हो सके।
  • किसी धर्म को विशेष शिक्षा से जोड़ना उचित नहीं है। सभी धर्मों की आवश्यक सामग्री को शिक्षा से जोड़ देना चाहिए।

निष्कर्ष

आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया (स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार | swami vivekanand ji ke bare mein jankari) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।

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Aman

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