World Aids Day 2022: Aids cases are increasing in girls 8 lakh children are deprived of HIV treatment worldwide

विश्व एड्स दिवस 2022: एड्स, साथ में बैठने से नहीं जुड़ता है। पिछले कई दशकों से दुनिया को दिया जा रहा है ये संदेश। इसके बावजूद स्थिति अच्छी नहीं रही। संयुक्त राष्ट्र की यूएन संस्था एड्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, हमेशा की भावना से ये रोग बढ़ रहा है। दुनिया में करीब आठ लाख पीड़ित बच्चों को आज भी इलाज नसीब नहीं है। एचआईवी से ग्रसित पांच से 14 साल के 60 प्रतिशत बच्चे बिना इलाज के जीवन जी रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में इस रोग से पीड़ित बच्चों के इलाज में देरी से शुरुआत हो रही है।
लड़कियों में लगातार बढ़ रहे मामले-
साल 2021 में 15 से 24 साल की लड़कियों में एचआईवी के मामले हैं। वैश्विक एचआईवी संक्रमण के 49 प्रतिशत मामले महिलाओं और लड़कियों में मिले हैं। हर दो मिनट में एक किशोरी या युवा लड़की की चपटी आई है। अफ्रीकी देशों की लड़कियों में ये रोग तेजी से फैलता है। महिलाओं में एचआईवी के 61 प्रतिशत मामले सभी अफ्रीकी अफ्रीकी देशों में मिले हैं।
प्रवेश के मामलों में गिरावट-
यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार 1996 में बीमारी का प्रकोप बढ़ने के बाद इसमें गिरावट आई है। 1996 में 32 लाख लोग और 2010 में करीब 22 लाख लोग चपेट में आ गए थे। साल 2021 में ये संख्या घटक करीब 15 लाख हो गई है। इसके मुताबिक इसमें 32 फीसदी की गिरावट आई है।
एचआईवी दुनिया की उद्योग पर भार-
यूएन एड्स के अनुसार, वर्ष 2021 के अंत तक गरीब और कम आय वाले देशों में एड्स से लड़ाई के लिए संगठन के पास करीब 2140 करोड़ डॉलर राशि थी। साल 2025 तक इसके लिए 2900 करोड़ डॉलर की जरूरत होगी। रिपोर्ट में चिंता गई है कि बिना इलाज के जीवन जी रहे हैं बच्चे दुनिया के लिए नई मुश्किल हैं।
यौन स्वास्थ्य को लेकर बंदें-
यूएन एड्स की कार्यकारी निदेशक विन्नी बयानिमा का कहना है कि दुनिया के 33 देशों की 41 विवाहित महिलाएं ही यौन स्वास्थ्य को लेकर अपने फैसले लेती हैं। अन्य देशों की बात करें तो दस में से पांच लोगों का उल्लेख गंभीर ही नहीं हैं। वे यौन स्वास्थ्य से जुड़ी हर बात के लिए पुरुषों का शिकार होते हैं।
दुनिया भर में जान पर भारी एचआईवी-
इस बीमारी के आने के बाद 8.42 करोड़ लोग चपेट में हैं। जबकि 4.01 करोड़ लोगों की जान अब तक इस बीमारी ने ली है। साल 2021 में 6.50 लाख लोगों की मौत एचआईवी से हुई है।
एचआईवी का किस कितना जोखिम-
इंजेक्शन से ड्रग लेने वाले लोगों को बाकी लोगों की तुलना में एचआईवी का खतरा 35 गुना ज्यादा बना रहता है। जबकि सामान्य महिलाओं की तुलना में महिला सेक्स वर्कर को एड्स का 30 गुना ज्यादा खतरा होता है। वैश्विक के समलैंगिकों को सामान्य पुरुषों की तुलना में 28 गुना ज्यादा खतरा होता है। ट्रांसजेंडर को सामान्य वयस्क की तुलना में 14 अलग-अलग जोखिम होते हैं।
भारत में एचआईवी-विज्ञापन
देश में साल 2019 में 24 लाख एचआईवी के मरीज थे। 3.96 लाख जनसंख्या के साथ महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। साल 2021 में इस बीमारी से 41 हजार लोगों की मौत हुई। देश में 61 हजार से अधिक बच्चे इस बीमारी से ग्रसित है।
(स्रोत: नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी-2021)