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मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य में क्या संबंध होता है?

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नमस्कार दोस्तों, आपने अक्सर अपने चारों तरफ देखा होगा कि मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य को लेकर काफी चर्चा होती रहती है, तथा समाज में भी इनका काफी बड़ा महत्व माना जाता है। दोस्तों क्या आप जानते हैं, कि मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य में क्या संबंध होता है। यदि आपको इस सवाल का जवाब मालूम नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं, की मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य में क्या संबंध होता है। और इस विषय से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी अभी हम आपको इस पोस्ट में देने वाले हैं।

मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य में क्या संबंध होता है? (maulik adhikar aur maulik kartavya mein kya sambandh hai)

maulik kartavya se aap kya samajhte hain
मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य में अंतर | fundamental rights and duties in hindi language

बहुत से लोगों को मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य के बारे में समझ नहीं होती है, तथा उन दोनों को इस बीच के अंतर के बारे में पता नहीं होता है, कि आखिर इन दोनों के बीच क्या अंतर होता है, तथा यह किस तरह से एक दूसरे से अलग होते हैं, तथा इनका संबंध क्या होता है।

तो इन दोनों को समझने के लिए सबसे पहले हम बारी-बारी से एक एक टॉपिक पर प्रकाश डालते हैं:-

मौलिक अधिकार क्या है? (maulik adhikar kya hai)

हमारे देश के द्वारा तथा हमारे देश के संविधान के द्वारा भारत के हर एक नागरिक का हर एक व्यक्ति को कुछ अधिकार दिए गए हैं, जिनको मौलिक अधिकार कहा जाता है, उन मौलिक अधिकारों के माध्यम से हम इस समाज तथा इस देश के अंतर्गत रह सकते हैं।

अगर मौलिक अधिकार के कुछ उदाहरण के बारे में बात की जाए, तो हम सबको स्वतंत्रता का अधिकार हमारे संविधान के द्वारा दिया गया है, जिसके अंतर्गत हमें कुछ भी बोलने की आजादी होती है, हम कहीं पर भी आ जा सकते हैं इसके अलावा भी हमें संविधान के अंतर्गत कई अलग-अलग प्रकार के अधिकार दिए गए हैं, जिनको मौलिक अधिकारों का नाम दिया जाता है, तथा इन मौलिक अधिकारों की वजह से ही आज हम अपना जीवन स्वतंत्रता पूर्वक इस देश के अंतर्गत व्यतीत कर पा रहे हैं।

इन मौलिक अधिकारों का पालन करना अनिवार्य होता है, तथा यह मौलिक अधिकार भारत के बड़े से बड़े व्यक्ति से लेकर भारत के छोटे से छोटे व्यक्ति पर लागू होते हैं, जिसके अंतर्गत अगर की बात की जाए, तो भारत के प्रधानमंत्री से लेकर एक छोटी सी छोटी मजदूर के ऊपर भी यह सभी मौलिक अधिकार लागू होते हैं।

मौलिक अधिकारों फायदे

  1. भारत का संविधान भारत के सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
  2. नागरिक मौलिक अधिकारों के साथ सशक्त और सक्षम लोग हैं।
  3. मौलिक अधिकार प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार देता है।
  4. मौलिक अधिकार लोगों की गरिमा को बढ़ाते हैं।

मौलिक कर्तव्य क्या है? (maulik kartavya kya hai)

इसके विपरीत यदि मौलिक कर्तव्य के बारे में बात की जाए, तो हर एक व्यक्ति के लिए उसके देश के प्रति कुछ मौलिक कर्तव्य होते हैं, या फिर उसके कुछ मौलिक कर्तव्य बनते हैं जिसे हमें हमारे देश की रक्षा करनी चाहिए, हमें हमारे देश के विकास के अंतर्गत सहयोग करना चाहिए, हमें अपने देश के अंतर्गत स्वस्था रखने का प्रयास करना चाहिए, हमें शांति रखना चाहिए हमें भाईचारा रखना चाहिए, इसके अलावा भी अनेक प्रकार के मौलिक कर्तव्य होते हैं, जिनको हमें अपने देश के अंतर्गत पालन करना चाहिए ताकि हम एक बना सकें।

तो दोस्तों इस तरह से भारत के हर एक नागरिक के अलग-अलग प्रकार के मौलिक कर्तव्य बनते हैं, जिसको उनका पालन करना चाहिए।

यह किसी भी व्यक्ति पर बातें नहीं होता है, कि उसको इन प्रकार के मौलिक कर्तव्यों का पालन करना ही चाहिए, यह पूरी तरह से उसके ऊपर निर्भर करता है, यदि वह अपने देश के लिए कुछ अच्छा करना चाहता है, तो वह मौलिक कर्तव्यों का पालन कर सकता है तथा उसको करना भी चाहिए, लेकिन यदि मैं उन मौलिक कर्तव्यों को नहीं मानता है, तथा उनका पालन नहीं करता है, तो उसको बाध्य नहीं किया जा सकता है।

तो दोस्तों हमने यहां पर आपको मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य के बारे में विस्तार से बता दिया है, कि आखिर यह क्या होते हैं।

मौलिक कर्तव्यों फायदे

1.मौलिक कर्तव्य, हर नारिक को अनुशासन का पालन करना सिखाता हे।
2.मौलिक कर्तव्य हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए यह बताता है।
3. कानून का पालन नागरिको को सशक्त बनता हे।

मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य में संबंध या अंतर (maulik adhikar aur maulik kartavya mein antar bataiye)

यदि मौलिक अधिकार या फिर मौलिक कर्तव्य के बीच अंतर की बात की जाए, तो हमारे देश के द्वारा हमें कुछ अधिकार दिए गए हैं, या फिर हमारे संविधान के द्वारा हमें कुछ अधिकार दिए गए हैं, जिन्हें मौलिक का अधिकार कहा जाता है, तथा यह हर एक व्यक्ति के ऊपर लागू होते है। इसी के विपरीत हम हर एक भारतीय नागरिक का उसके देश के प्रति कई अलग-अलग प्रकार के कर्तव्य बनते हैं जिनको मौलिक कर्तव्य कहा जाता है, लेकिन यह कार्य करने के लिए किसी भी व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जा सकता है। वह अपनी इच्छा से यदि यह कार्य करना चाहता है, तो वह कर सकता है, या फिर अगर बात नहीं करना चाहता तो उस पर कोई भी दबाव नहीं होता है।

तो मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य के बीच मुख्य रूप से यही अंतर होता है।

निष्कर्ष

तो दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपने जाना कि मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य में संबंध या अंतर क्या होता है (difference between fundamental rights and fundamental duties in hindi), हमने आपको विस्तार से बताया है कि मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य क्या होते हैं। हमें उम्मीद है कि आपको हमारी द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है।

मौलिक कर्तव्य कहाँ से लिया गया है?

मौलिक कर्तव्य: मौलिक कर्तव्यों का विचार रूस के संविधान से प्रेरित है। इन्हें स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-ए में जोड़ा गया था।

क्या अधिकार और जिम्मेदारी के बीच कोई संबंध है?

अधिकार और कर्तव्य अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं और इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। दोनों साथ-साथ चलते हैं। ये सिक्के के विपरीत ध्रुव हैं। यदि राज्य किसी नागरिक को जीवन का अधिकार प्रदान करता है, तो यह उस पर दायित्व भी डालता है कि वह अपने जीवन को खतरे से बचाए और दूसरों के जीवन का सम्मान करे।

मानव अधिकार से आप क्या समझते हैं कोई 5 अधिकार के नाम बतायें?

1. सामाजिक सुरक्षा का अधिकार
2. समान काम के लिये समान वेतन का अधिकार
3. काम करने का अधिकार
4. आराम तथा फुर्सत का अधिकार
5. शिक्षा तथा समाज के सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने का अधिकार

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Aman

My name is Aman, I am a Professional Blogger and I have 8 years of Experience in Education, Sports, Technology, Lifestyle, Mythology, Games & SEO.

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