सिंधु सभ्यता के लोग सोना कहां से प्राप्त करते थे?
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नमस्कार दोस्तों, सिंधु सभ्यता का नाम इस दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं की सूची में आता है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि सिंधु सभ्यता के लोग सोना कहां से प्राप्त करते थे, यदि आपको इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
आज के इस आर्टिकल के अंतर्गत हम आपको बताने वाले हैं, कि सिंधु सभ्यता के लोग सोना कहां से प्राप्त करते थे, इसके अलावा हम आपको इससे जुड़ी लगभग हर एक जानकारी शेयर करने वाले हैं। तो ऐसी में आज का यह आर्टिकल आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है, तो इसको अंत तक जरूर से पढ़िए।
सिंधु सभ्यता के लोग सोना कहां से प्राप्त करते थे?
दोस्तों आपको पता होगा कि जब खुदाई की जाती है, तो हमें इन पुरानी सभ्यताओं के बारे में जानकारी मिलती है, कि इन सभ्यताओं के लोग कैसे थे यहां की संस्कृति कैसी होती थी, तथा यहां के लोग किन-किन चीजों का इस्तेमाल करते थे, इन सभी के बारे में खुदाई के माध्यम से ही पता चल पाता है।
बहुत से लोगों के मन में यह सवाल होता है कि सिंधु सभ्यता के लोग सोना कहां से प्राप्त करते थे, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं, कि सिंधु सभ्यता के लोग सोना सिंधु नदी से प्राप्त करते थे, इसके अलावा सिंधु सभ्यता के कुछ लोग सोना मैसूर कर्नाटक से भी प्राप्त करते थे।
राजनैतिक जीवन
यह इतना स्पष्ट है कि हड़प्पा की विकसित नगर निर्माण व्यवस्था, विशाल सार्वजनिक स्नानागारों का अस्तित्व और विदेशों से व्यापारिक संबंध बिना किसी बड़े राजनीतिक अधिकार के नहीं हुए होंगे, लेकिन इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि यहां के शासक कैसे थे और प्रकृति क्या है शासन प्रणाली की। था। लेकिन नगर व्यवस्था को देखकर ऐसा लगता है कि नगर निगम जैसी स्थानीय स्वशासन संस्था थी।
कृषि एवं पशुपालन
सिंधु क्षेत्र आज की तुलना में अतीत में बहुत उपजाऊ था। ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में सिकंदर के एक इतिहासकार ने कहा था कि सिंध को इस देश के उपजाऊ क्षेत्रों में गिना जाता है। पहले के समय में यहां बहुत सारी प्राकृतिक वनस्पति होती थी, जिसके कारण यहां अच्छी वर्षा होती थी। जंगलों से ईंटें बनाने और भवन निर्माण में लकड़ी का प्रयोग बड़े पैमाने पर होता था, जिससे धीरे-धीरे जंगलों का विस्तार सीमित हो गया। सिंधु की उर्वरता का एक कारण सिंधु नदी से आने वाली वार्षिक बाढ़ थी।
गांव की रक्षा के लिए बनाई गई ईंट की दीवार हर साल बाढ़ आने का संकेत देती है। यहां के लोगों ने बाढ़ के थमने के बाद नवंबर के महीने में बाढ़ के मैदानों में बीज बोए और अगली बाढ़ आने से पहले अप्रैल के महीने में गेहूं और जौ की कटाई की। यहां कोई फावड़ा या हल नहीं मिला है, लेकिन कालीबंगा की पूर्व-हड़प्पा सभ्यता के हल (हलरेखा) मिले हैं, यह ज्ञात है कि इस अवधि के दौरान राजस्थान में हल चलाया जा रहा था।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग गेहूं, जौ, राई, मटर, ज्वार आदि अनाज उगाते थे। उन्होंने दो प्रकार के गेहूं का उत्पादन किया। बनावली में पाया जाने वाला जौ बेहतर गुणवत्ता का होता है। इसके अलावा वे तिल और सरसों भी उगाते थे। पहले कपास भी यहीं उगाया जाता था। इसी के नाम पर यूनान के लोग इस सिंधन को बुलाने लगे। हड़प्पा एक कृषि प्रधान संस्कृति थी, लेकिन यहाँ के लोग पशुपालन भी करते थे। बैल-गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और सुअर पाले जाते थे। हड़प्पावासियों को हाथियों और गैंडों का ज्ञान था।
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सिंधु सभ्यता से जुड़ी कुछ खास बातें
तो चलिए दोस्तों अब इस आर्टिकल के अंतर्गत आगे हम सिंधु सभ्यता से जुड़ी कुछ खास बातें प्राप्त कर लेते हैं ,:-
1. दोस्तों सिंधु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी के द्वारा की गई थी, पहली बार रायबहादुर दयाराम साहनी के द्वारा ही इस सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में जानकारी दी गई थी।
2. सिंधु घाटी सभ्यता त्रिभुजाकार में फैली हुई थी, जिसका कुल क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर था।
3. दोस्तों अनेक विद्वानों का यह मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे पहली राजधानी हड़प्पा थी। तो ऐसे में अनेक लोगों का यह मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता की पहली राजधानी हड़प्पा है।
4. सिंधु घाटी सभ्यता के लोग बर्तनों का इस्तेमाल करते थे तथा उन बर्तनों पर मानव आकृतियां भी प्राप्त हुई है। तो इस बात से हम भी अंदाजा लगा सकते हैं कि उस समय के लोगों को कला में काफी इंटरेस्ट था।
5. जब हड़प्पा की खुदाई की जा रही थी तो वहां पर एक दर्पण भी प्राप्त हुआ था जो तांबे का बना हुआ था।
तो दोस्तों यह कुछ सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी खास बातें थी, जिनके बारे में हमने आपको यहां पर जानकारी दी है।
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आज आपने क्या सीखा
तो दोस्तों आज के साथियों के अंतर्गत आपने जाना कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग सोना कहां से प्राप्त करते थे, इसके बारे में हमने आपको विस्तार से जानकारी दी है। इसके अलावा हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी कुछ खास बातें भी बताई है जिनके बारे में आपका जानना काफी महत्वपूर्ण था।
इस विषय के बारे में हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से संपूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर जरूर करें तथा नीचे हमें अपनी राय कमेंट में जरूर दें।
FAQ
सिंधु घाटी की सभ्यता का अंत कैसे हुआ?
अधिकांश विद्वानों के अनुसार इस सभ्यता का अंत बाढ़ के प्रकोप के साथ हुआ। चूंकि सिंधु घाटी सभ्यता का विकास नदियों के किनारे हुआ था, इसलिए बाढ़ आना स्वाभाविक था, इसलिए यह तर्क मान्य है। लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि इतनी विशाल सभ्यता केवल बाढ़ के कारण समाप्त नहीं हो सकती।
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा शहर कौन सा है?
मुआन जोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा शहर है। इस सभ्यता को सिंधु सरस्वती सभ्यता भी कहा जाता है। कुछ विद्वान इसे हड़प्पा सभ्यता का ही एक रूप मानते हैं।
मोहनजोदड़ो का सबसे बड़ा स्थल कौन सा है?
मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत अन्नार या अन्नाकोठार या अन्न भंडार है। 45.71 मी. लंबा और 15.23 मी. चौड़ा है।
सिंधु सरस्वती सभ्यता के निर्माता कौन थे?
फादर हेरास और हाल ही में डॉ. सुनीत कुमार के अनुसार, इस सभ्यता के निर्माता द्रविड़ थे। गार्डन चाइल्ड ने सुमेरियों को सिंधु सभ्यता का निर्माता माना।
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