राजस्थान में गणगौर कहां की प्रसिद्ध है?

राजस्थान प्राचीन समय से ही त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, राजस्थान में जितने त्योहार मनाए जाते हैं, शायद ही किसी भारत के राज्य में मनाए जाते हो। राजस्थान अपनी रंग बिरंगी संस्कृति और परंपराओं के चलते भी अपना एक विशेष स्थान रखता है यहां समय-समय पर अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं।
उन्ही में से गणगौर (Gangaur) अत्यंत विशेष और प्रसिद्ध है। गणगौर में काफी रीति रीवाजों का पालन किया जाता है। राजस्थान में गणगौर बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन हम आज कुछ ऐसे स्थानों की चर्चा करने वाले है, जिसमें गणगौर को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। और यहां का गणगौर पूरे भारत भर में प्रसिद्ध है। इसलिए आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
राजस्थान में गणगौर कहां की प्रसिद्ध है?
राजस्थान की राजधानी जयपुर में गणगौर त्योहार को अत्यंत महत्व देखकर बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। और यही “जयपुर” का गणगौर पुरे राजस्थान में सबसे ज्यादा प्रसिद्द हैं। Jaipur के Gangor त्यौहार में राज परिवार के लोग भी इकट्ठा होते हैं और गणगौर की शोभा यात्रा का नजारा देखने योग्य होता है।
गहनों से सजी हुई महिलाएं, बेहद आकर्षक मूर्ति और रंग-बिरंगे कपड़े ऐसे अति आकर्षक बना देते हैं। यह शोभायात्रा जयपुर के त्रिपोलिया गेट से शुरू होकर महज चौहान स्टेडियम तक जाती है और इस बीच काफी नृत्य और खुशियां मनाई जाती है।
शोभा यात्रा में हजारों की संख्या में तो लोग शामिल होते ही हैं, लेकिन जो लोग गणगौर त्यौहार नहीं मानते है वह भी बड़े प्यार से शोभा यात्रा का नजारा देखते हैं।
उदयपुर का गणगौर क्यों प्रसिद्ध है?

उदयपुर जो की झीलों की नगरी है, में भी गणगौर को अति आकर्षक तरीके से मनाया जाता है। Gangaur के दिन यहां के राजमहल को पूरा मन लगाकर सजाया जाता है जो देखने में एकदम मनमोहन लगता है। उदयपुर में पिछोला झील के किनारे गणगौर की शोभा यात्रा निकाली जाती है।
जो झील की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। महिलाएं आभूषणों से सज धज कर गीत गाती हुई इस शोभा यात्रा को आगे बढ़ती है और उदयपुर की गणगौर शोभा यात्रा में ऊंट, घुड़सवार व हाथी भी शामिल होते हैं यहां का दृश्य देखने योग्य होता है।
यहां भी बड़े ही भीड़ में लोग इकट्ठा होते हैं और सबसे अच्छे और खूबसूरत तरीके से गणगौर मनाने की लिस्ट में उदयपुर का भी नाम है।
बीकानेर का गणगौर की ख़ास रहस्य?
गणगौर (Gangaur) मनाने के मामले में बीकानेर भी उदयपुर में जयपुर से काम नहीं है यहां बड़े ही हर्षोउल्लास से गणगौर की पूजा को संपन्न किया जाता है बीकानेर के लक्ष्मीनाथ मंदिर में गणगौर की पूजा होती है।
बीकानेर गणगौर की शोभा यात्रा इतनी आकर्षक और खूबसूरत ढंग से मनाई जाती है कि यहां की शोभायात्रा को देखने के लिए पर्यटक भी काफी संख्या में आते हैं। शोभायात्रा के दौरान हजारों लोगों की इकट्ठा होते हैं।
महिलायों द्वारा अच्छे-अच्छे गीत गाए जाते हैं व आभूषणों में कोई कमी नहीं छोड़ी जाती।
जोधपुर का गणगौर क्यों प्रसिद्ध है?

जोधपुर में भी गणगौर मनाने की प्रक्रिया बेहद आकर्षक है। जोधपुर के मेहरानगढ़ से गणगौर की शोभा यात्रा निकाली जाती है। जिसके लिए काफी अधिक संख्या में लोग इकट्ठे होते हैं।
शोभा यात्रा के दौरान रीति रिवाज का ध्यान रखते हुए आकर्षक वस्त्र पहने जाते हैं। और कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इसके अलावा नृत्य और संगीत में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी जाती।
निष्कर्ष
गणगौर केवल धार्मिक उत्स्व ही न होकर समृद्धि का प्रतीक भी है, इस त्यौहार का महिलाओं के जीवन में विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन पार्वती जी ने पूरे जगत की महिलाओं को वरदान दिए थे। और इस दिन पार्वती और भगवान शिव की बड़े स्तर पर पूजा की जाती है।
गणगौर को विवाह से भी ज्यादा खुशी से मनाया जाता है। अर्थात अलग-अलग पकवान बनाए जाते हैं, औरतों द्वारा नृत्य में संगीत गए जाते हैं।
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गणगौर का त्यौहार कब मनाया जाता है?
गणगौर का त्योहार होली के अगले दिन से शुरू होकर चित्र मास के तीसरे दिन समाप्त होता है और इस दिन 18 दिनों की व्रत प्रक्रिया होती है।
गणगौर त्यौहार का क्या उद्देश्य व महत्व है?
गणगौर के दिन में भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है और सभी महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र वह खुशहाल जीवन के लिए कामना करती है।
गणगौर की शोभायात्रा में क्या क्या होता है?
गणगौर की शोभा यात्रा के दौरान पुरुष व महिलाओं सभी द्वारा बेहद आकर्षक वस्त्र पहने जाते हैं और महिलाये आभूषणों से सज धज जाती है। नृत्य और संगीत आयोजित करके गणगौर संगीत गाये जाते हैं और भगवान शिव व पार्वती की पूजा को मन लगाकर किया जाता है। गणगौर की शोभा यात्रा का दृश्य देखने योग्य होता है।
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