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आवारा मसीहा किस विधा की रचना है?

आवारा मसीहा कौन सी विधा है? | awara masiha kis gadya vidha ki rachna hai

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आवारा मसीहा के बारे में आपने शायद ही सुना होगा और इसके बारे में जानते होंगे की यह क्या हैं, इसके बारे में बहुत सारे लोगों को नहीं पता की यह क्या और आवारा मसीहा किस विधा की रचना है?

इसलिए आज के इस आर्टिकल में मैं आप लोगो को बताने वाला हूं आवारा मसीहा किस विधा की रचना है (awara masiha kis vidha per aadharit rachna hai) और इसके अलावा आवारा मसीहा पाठ का सारांश क्या हैं.

आवारा मसीहा किस विधा की रचना है?

आवारा मसीहा एक जीवनी विधा की रचना हैं जिसे विष्णु प्रभाकर जी ने लेखक चट्टोपाध्याय के जीवन पर लिखा हैं, इस रचना को पहली बार सन् 1974 में राजपाल एंड सन ने दिल्ली में प्रकाशित किया था.

आसान शब्दों में कहूं तो आवारा मसीहा एक जीवनी हैं जो प्रसिद्ध बांग्ला लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के जीवन पर आधारित हैं, जिसमे जीवन, स्मरण, रेखाचित्र, कहानियां, नाटक, यात्रा आदि कई सारी चीजों के ऊपर बात किया गया हैं.

आवारा मसीहा में लेखक ने शरतचंद्र के बचपन की बातें और उनकी चंचलताओं का भी वर्णन किया हैं.

आवारा मसीहा पाठ का सारांश

awara masiha kis vidha per aadharit rachna hai
आवारा मसीहा की रचना विधा है? | awara masiha ki rachna vidha hai

आवारा मसीहा पाठ को विष्णु प्रभाकर जी ने लिखा हैं और यह उनके जीवन की सबसे ज्यादा चर्चित रचनाओं में से एक हैं जिसको पूरी तरह से लिखने के लिए उन्होंने 14 साल लगाए.

इस आवारा मसीहा पाठ में कवि शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के बारे में व्याख्या किए हैं, उन्होंने इसमें शरतचंद्र के बचपन के दिनों की घटनाओं से लेकर जवान होने तक की सारी चंचलता और शरारतों का वर्णन किया हैं.

आवारा मसीहा को तीन भाग में बांटा गया हैं जिनमे पहला पर्व हैं दिशाहारा जिसमे शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के बचपन से लेकर युवावस्था तक की कहानी हैं.

शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 15 सितंबर 1876 में बंगाल में स्थित हुगली जिले के एक छोटे से गांव देवानंदपुर में हुआ , उनके पिता का नाम मोतीलाल चट्टोपाध्याय था.

शरतचंद्र को पांच वर्ष की आयु में ही पढ़ने के लिए प्यारी पंडित की पाठशाला में भर्ती करा दिया गया , और सुरूवात से ही वो पाठशाला में बहुत शरारत किया करता था.

पंडित जी हर दिन शरतचंद की शिकायत उनके माता पिता को किया करते थे क्युकी वो रोज स्कूल में कुछ न कुछ कांड करके ही घर आता था.

शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का बचपन ज्यादातर उनके नानी के यहां ही बीता क्युकी वो शरारत बहुत ज्यादा किया करते थे.

समय बीतता गया और एक समय ऐसा आया जब शरतचंद्र को मसूरगंज की रहने वाली एक वैश्या “कालीदासी” से घनिष्ठ मित्रता हो गई.

और इसका परिणाम ये हुआ की लोग उनको आवारा और चरित्रहीन व्यक्ति के रूप में देखने लगे , और इसी कारण से उनको अपने नाना के घर में भी खांस कर जाना पड़ता था ताकि उनकी बहने और बाकी औरत अंदर चली जाएं.

ऐसे ही एक दिन ऐसा भी आया जब शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के नाना ने उनको घर से जाने को कह दिया.

इसके बाद वो कालीदासी के साथ ही अपना ज्यादातर समय बिताने लगे और नारी जीवन के मनोविज्ञान के बारे में काफ़ी सारी चीजें सिंखी और और इन सब के कारण शरतचंद्र ने सारी नारियों को सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण से देखने लगे.

निष्कर्ष

मैं उम्मीद करता हूं की आपको इस ब्लॉग पोस्ट से काफ़ी कुछ सीखने को मिला होगा जिसमे हमने आप सभी को बताया हैं की आवारा मसीहा किस विधा की रचना है? (awara masiha namak jivani vidha ke lekhak kaun hain)और आवारा मसीहा पाठ का सारांश क्या हैं , कवि इस पाठ की माध्यम से क्या कहना चाहते हैं.

दरअसल आवारा मसीहा शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के ऊपर विष्णु प्रभाकर जी द्वारा लिखी गई एक जीवनी हैं.

अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा और कुछ भी सीखने को मिला तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर जरूर करें.

आवारा मसीहा का अर्थ क्या है?

जब किसी व्यक्ति के जीवन में कोई दिशा नहीं होती तो वह आवारा कहलाता है, लेकिन जब कोई घुमक्कड़ दिशा खोज लेता है और जनहित में काम करता है तो उसे घुमक्कड़ मसीहा कहा जा सकता है.

आवारा मसीहा के उपन्यासकार कौन हैं?

मूल हिंदी में प्रकाशन के बाद से ‘आवारा मसीहा’ और इसके लेखक विष्णु प्रभाकर को न केवल कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है, बल्कि इसका कई भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है और किया जा रहा है।

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Aman

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