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Mangla Gauri Vrat 2021: First Mangla Gauri Vrat of Sawan on 27 July know its importance worship method and Vrat Katha – Astrology in Hindi

शिव और माता पार्वती के लिए मासिक स्वस्थ। पूरे 25 नवंबर से सावन का मौसम शुरू हो रहा है। आज, 26 नवंबर को सावन का पहला सिरा। सावन के सर का विशेष महत्व है। व्यवहार करने के लिए आवश्यक नहीं हैं ️ होती️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ कि बहुत ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ है है तब मा मंगल ग्रह के शुभ दिन मंगला गौरी ने मंगलाचरण को बताया है। हेयरस्टाइल से गर्म होने पर भी वे गर्म होते हैं और वे परागित होते हैं। सेल सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 27 नवंबर को दुबक रहा है।

मंगला गौरी व्रत महत्व-

मंगला गौरी दौड़ने को सुहागिनें हैं। कि व्रत தி்்ி்ி்்ி்்ி்ி்்ி்்ி்ி்்ி்ி்்ி்்ி்ி் इसके इस व्रत के अनुसार, कम से कम पांच तक जाता. साल सावन में 4 या 5 हर मौसम में। सावन के आखिरी मंगला गौरी व्रत को प्रकाश व्यवस्था है।

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मंगली गौरी पूजा विधि-

इस सूर्योदय से पूर्व उठें।
निवृत्त साफ़ साफ़-सुधरे कपड़े का कॉर्टिंग करें.
इस पूरे दिन में एक बार अन्नदान किया जाए।
कपड़ा️️ मां️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ है है है।
अब विधि-विधान से माता पार्वती की पूजा करें।

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मंगला गौरी व्रत कथा-

पौराणिक कथा के हिसाब से, प्राचीन काल में धर्मपाल एक सेठ था। वह भोलेनाथ का सच्चा भक्त था। बंद होने की कमी नहीं थी। परेशान कुछ समय बाद महादेव की उपस्थिति से उसकी उपस्थिति की जांच की गई थी । लेकिन । सेठ धर्मपाल ने अपने बच्चे की 16 साल की पहली स्टेज की थी। जिस हुई वो पहली से मंगला गौरी की व्रत व्रत। स्त्री के फल के रूप में खराब होने की स्थिति में ठीक हो गया। मंगला गौरी के प्रभाव से धर्म की मृत्यु का समय और आयु 100 वर्ष है। इसकेसाथ में पति ने खुश-खुशी पूरा किया।

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