महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर क्या है?
महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर उदाहरण सहित | khandkavya aur mahakavya mein antar
मित्रों, जब हिंदी साहित्य के अंतर्गत हम काव्यों की रचना के बारे में पढ़ते हैं, तब महाकाव्य और खंडकाव्य हमारे समक्ष कई बार आते हैं। इनके उपयोग व इनकी प्रसिद्धि इतनी है कि हम आसानी से किसी भी काव्य रचना में इन दोनों में से किसी एक कराव्या प्रकार का उपयोग निश्चित है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाकाव्य किसे कहते हैं और खंड काव्य किसे कहते हैं? यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं। क्योंकि आज आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं।
आज हम आपको बताने वाले हैं कि महाकाव्य खंडकाव्य में अंतर लिखि | Mahakavya Aur Khandkavya Mein Antar क्या होता है, महाकाव्य किसे कहते हैं, खंडकाव्य किसे कहते हैं, महाकाव्य का क्या उपयोग है, खंडकाव्य का क्या उपयोग है, इन सब के बारे में आज हम आपको विस्तार से जानकारी देंगे। तो चलिए शुरू करते हैं-
महाकाव्य क्या है? महाकाव्य का क्या उपयोग है?
महाकाव्य वह काव्य होता है जिसमें सर्गों का निबंध होता है, अर्थात एक महाकाव्य में कम से कम 8 सर्ग होते हैं, और एक महाकाव्य किसी भी संपूर्ण चरित्र या दृश्य का वर्णन होता है। एक पूरे महाकाव्य में के कई भाग हो सकते हैं और कई कहानियां, रचना एक साथ नजर आ सकती हैं।
एक महाकाव्य की अलग-अलग प्रकार की विशेषताएं भी होती है जैसे कि:-
- एक महाकाव्य में 8 या इससे ज्यादा सर्ग होने चाहिए।
- एक महाकाव्य में अनेक शब्दों का प्रयोग होता है।
- महाकाव्य में प्रधान रस शांत वीर रस श्रृंगार रस होता है।
- महाकाव्य में बाकी रस का उपयोग समय अनुसार होता है।
- एक महाकाव्य ने यात्रा का वर्णन, प्रकृति का वर्णन, या पूरे नगर का वर्णन शामिल किया जा सकता है।
- महाकाव्य की शैली उदात्त होनी आवश्यक है।
- महाकाव्य की कथावस्तु क्रमबद्धता की सूत्रात्मक होनी चाहिए ।
खंडकाव्य क्या है? खंडकाव्य का उपयोग कहां होता है?
एक खंडकाव्य मूल रूप से एक प्रबंध काव्य का रूप होता है, और यह किसी विशेष घटना या किसी विशेष चरित्र के बारे में लिखा गया कब से होता है। यह महाकाव्य की तरह विशाल और वृहद नहीं होता। यह किसी भी महाकाव्य का एक छोटा सा भाग हो सकता है।
खंडकाव्य शब्द से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि यह का छोटा भाग है, जिसमें मानव जीवन की किस घटना की प्रधानता दिखाई जाती है।
किसी भी खंड काव्य में नायक के जीवन का संपूर्ण रस एक साथ प्रभावित नहीं किया जाता है। खंडकाव्य की भी कुछ विशेष परिस्थितियां और विशेषताएं होती है, जैसे कि-
- खंडकाव्य में किसी घटना या मार्मिक का वर्णन होता है।
- इसमें एक आदर्श अभिव्यक्ति की जा सकती है।
- इसका नायक के प्रसिद्ध होता है।
- एक मुख्य नायक की भूमिका कई बार आती है।
- इसकी पूरी रचना मात्र एक छंद में कर दी जाती है।
- इसमें प्रधान रस और वीर रस मूल रूप से प्रज्वलित होता है।
महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर क्या है? | Mahakavya Aur Khandkavya Mein Antar
- एक महाकाव्य में नायक और नायिका के पूरे जीवन का संपूर्ण चित्रण हो सकता है, लेकिन एक खंडकाव्य में नायक या नायिका के जीवन की एक घटना का छोटा सा चित्रण होता है।
- महाकाव्य का कलेवर विस्तृत होता है जबकि खंडकाव्य का कलेवर सीमित ही नजर आता है। महाकाव्य में अनेकों छंद होते हैं और छंदों की संख्या लाखों में हो सकती है, जबकि खंडकाव्य में आमतौर पर एक छंद का उपयोग होता है, और उसी एक छंद में पूरा खंडकाव्य निपट जाता है।
- महाकाव्य का उदाहरण यह हो सकता है कि जयशंकर प्रसाद की कामायनी या मैथिलीशरण गुप्त की साकेत जबकि खंडकाव्य कब धारण यह हो सकता है कि मैथिलीशरण गुप्त की पंचवटी जयद्रथ वध इत्यादि।
- एक महाकाव्य में छात्रों की संख्या काफी अधिक होती है जबकि खंडकाव्य में तत्वों की संख्या मूल रूप से सीमित होती है।
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अंतिम विचार
आज के लेख में हमने आपको बताया है कि महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर बताइए | Mahakavya Aur Khandkavya Mein Antar क्या है। इसके अलावा हमने महाकाव्य और खंडकाव्य के बारे में आपको विस्तार से जानकारी दी है। हम आशा करते हैं कि आज का हमारा यह लेख पढ़ने के पश्चात आप जान पाएंगे कि Mahakavya Aur Khandkavya Mein Antar क्या है।
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FAQ
सबसे बड़ा खंडकाव्य कौन सा है?
सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर कौन सी है? इसे सुनें रॉकेन रश्मिरथी (खंड काव्य) रश्मिरथी, जिसका अर्थ है “सूर्य का सारथी”, महान हिंदी कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित एक प्रसिद्ध खंडकाव्य है। यह 1952 में प्रकाशित हुआ था। इसमें 7 सर्ग हैं।
भारत का पहला महाकाव्य कौन सा है?
भारत के महाकाव्यों में वाल्मीकि रामायण, व्यास द्वैपायन रचित महाभारत, तुलसीदासरचित रामचरितमानस, आदि ग्रन्थ परमुख हैं।
पहला महाकाव्य कौन सा है?
मान्यता प्राप्त सबसे पुराना महाकाव्य गिलगमेश का महाकाव्य (सी। 2500-1300 ईसा पूर्व) है, जो नव-सुमेरियन साम्राज्य के दौरान प्राचीन सुमेर में दर्ज किया गया था। कविता उरुक के राजा गिलगमेश के कारनामों का विवरण देती है।
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