महाभारत की रचना कब और किसने की थी?
महाभारत के रचनाकार कौन है? | mahabharat ke rachnakar kaun hai
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दोस्तों, महाभारत एक ऐसा महाकाव्य है जिसके अंतर्गत द्वापर युग के कुछ ऐसे विशेष पलों की व्याख्या की गई है जिसमें स्वयं भगवान श्रीकृष्ण एक पात्र है। महाभारत एक ऐसी घटना है जिसके बारे में जानकार एक व्यक्ति अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकता है/ लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महाभारत किसने लिखी थी और कब | Mahabharat Ki Rachna Kisne Ki the aur kab kiya tha, जो अपने आप में इतना समर्थ है कि किसी भी मुश्किल से निकलने के लिए हर व्यक्ति को समाधान बता सकता है?
यदि आप नहीं जानते कि महाभारत की रचना किसने की है और जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह है क्योंकि आज हम आपको महाभारत के बारे में कुछ विशेष की जानकारी देने वाले हैं और आपको बताएंगे कि महाभारत कब और किसने लिखी (mahabharat ke lekhak ka naam kya hai), महाभारत की रचना कब हुई, तथा महाभारत की रचना के संदर्भ में और भी कई प्रकार की जानकारी आज हम आपको उपलब्ध करवाने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं –
महाभारत की रचना कब की गई? | mahabharat ki rachna kab ki gai thi
![mahabharat ki rachna kab ki gai thi](/wp-content/uploads/2022/11/mahabharat-ki-rachna-kab-ki-gai-thi-min-1024x576.png)
दोस्तों, कुछ विशेष साक्ष्यों के अनुसार और तथ्यों तथा विशेषज्ञों के अनुसार महाभारत की रचना आज से तकरीबन 4000 साल या 5000 साल पहले हुई थी। इसका मतलब यह है कि स्वयं महाभारत 4000 या 5000 साल पहले हुई होगी।
आपको यह बता दें कि महाभारत द्वापर युग के अंतिम समय में हुई थी, और महाभारत के ही एक पात्र वेदव्यास ने जो कि महाभारत में दुर्योधन के पिता धृतराष्ट्र के रिश्तेदार और भीष्म के भाई थे। उनके द्वारा महाभारत द्वारा लिखी गई।
महाभारत में वर्णित ज्योतिष तिथियों से मेल खाने वाली समय अवधि, आज से तकरीबन 5000 साल से 6000 साल पहले तक देखी जा सकती है। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि वेदव्यास ने महाभारत की रचना भगवान श्री गणेश जी के साथ मिलकर आज से तकरीबन 5000 साल से 6000 साल पहले की थी।
महाभारत की रचना किसने की थी? | Mahabharat Ki Rachna Kisne Ki?
दोस्तों, जैसा कि आपने महाभारत में भी पढ़ा होगा कि वेदव्यास के पास इतना ज्यादा ज्ञान था जिसे एक पुस्तक में उतारना लगभग असंभव था। इसके लिए एक ऐसे व्यक्तित्व या ऊर्जावान श्रेष्ठ की आवश्यकता थी जो नियमित रूप से उस ज्ञान को एक पुस्तक पर उकेर सके।
इसके लिए वेदव्यास जी ने भगवान श्री गणेश का आवाहन किया था और भगवान श्री गणेश ने बिना रुके बिना थके महाभारत लिखी थी, और इसके लिए वेदव्यास जी ने भी बिना रुके बिना थके महाभारत लिखी थी।
जब गणेश जी से यह विनती की गई कि आप कृपया निरंतर और बिना रुके महाभारत को लिखने का कार्य करें, तब गणेश भगवान ने भी यह शर्त रखी थी कि मैं यह केवल तभी कर सकता हूं जब आप बिना रुके और बिना थके लगातार बोलते हुए महाभारत का अपनी वाणी से सृजन करेंगे। तो हम यह कह सकते हैं कि भगवान श्री गणेश और वेदव्यास के द्वारा महाभारत की रचना की गई थी।
वेदव्यास कौन थे? | Vyasa kon the in hindi
![Vyasa kon the in hindi](/wp-content/uploads/2022/11/Vyasa-kon-the-in-hindi-1024x576.png)
दोस्तों, आपको जानकर हैरानी नहीं होनी चाहिए कि महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास महाभारत महा ग्रंथ के रचयिता के साथ साथ भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 21वे अवतार थे। यानी कि उन्हें भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता था।
क्योंकि ऐसा महान ग्रंथ की रचना करना किसी सामान्य पुरुष के बस की बात नहीं थी। महाभारत ग्रंथ का निर्माण या लेखन भगवान श्री गणेश ने किया था, लेकिन भगवान श्री गणेश जी ने भी वेदव्यास जिसे सुनकर इस ग्रंथ का निर्माण किया था।
आपको जानकर हैरानी होगी कि वेदव्यास जी महाभारत ग्रंथ के रचयिता और पात्र दोनों है। जी हां उन्होंने महाभारत को स्वयं अपनी आंखों से देखा है। इसके केवल रचयिता इन ही नहीं बल्कि साक्ष्य भी हैं।
क्योंकि उनके समक्ष यह सारी घटनाएं क्रमवार घटित हुई हैं, अपने आश्रम में बैठकर हस्तिनापुर की समस्त गतिविधियों से सूचित होते रहते थे, और वें सभी घटनाएं तक पहुंचती थी और समय-समय पर कुछ विशेष घटनाओं के लिए अपना परामर्श देते थे।
ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक बार द्वापर युग में वेदों का विभाजन अर्थात वेदों को चार भागों में विभाजित करने के लिए वेदव्यास जी पृथ्वी पर अवतार लेते हैं, या अलग-अलग रूप में ले सकते हैं। सबसे पहले द्वापर युग में ब्रह्मा जी वेद व्यास हुए थे।
उसके पश्चात प्रजापति दक्ष वेदव्यास हुए थे। तीसरे द्वापर युग में शुक्राचार्य जीत वेदव्यास बने, चौथे द्वापर में बृहस्पति वेदव्यास हुए थे। इस प्रकार सूर्य, इंद्र, मृत्यु, कृष्ण द्वैपायन, धनंजय, अश्वत्थामा, यह सभी वे दिवस के रूप में अवतरित हुए हैं।
महर्षि वेदव्यास के भाई बहनों में भी चित्रांगद और विचित्रवीर्य उनके सौतेले भाई थे। सत्यवती की संतान के रूप में और हस्तिनापुर के यमुना तट पर उनका जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास या पाराशरी है, और बादरयणि था।
महाभारत का सार क्या है? | Mahabharat ka saar kya hai
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दोस्तों महाभारत को एक सार के रुप में देखना अत्यंत मुश्किल है। लेकिन फिर भी हमने हमारे स्वयं के एनालिसिस से महाभारत को एक सार में निकालने की कोशिश की है, और महाभारत का सार कुछ ऐसा हो सकता है कि यदि आप विनाश से बचना चाहते हैं, तो आपको सत्य और न्याय के पथ पर चलना होगा।
आपको न्याय तथा सत्य से विमुख होकर इस जीवन में कभी भी परम सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है। जब एक व्यक्ति सत्य और न्याय का त्याग कर देता है तब यह धर्म के पथ पर आगे बढ़ने लगता है।
इसके पश्चात चाहे उसने कितनी भी महान शक्ति अर्जित की हो, उसका समूल विनाश निश्चित हो जाता है, और उसका विनाश रोकने में स्वयं नारायण भी असफल होते हैं।
महाभारत में भी नारायण को ही सत्य कहा गया है। यदि इस सत्य से कोई अवगत नहीं है तो उसका विनाश स्वयं नारायण भी नहीं रोक सकते हैं। जिस प्रकार यह देखा गया था कि कुंती के सभी 5 पुत्र शक्तिशाली, बुद्धिमान, तेज और तेजस्वी थे, दूसरी और गांधारी के सौ पुत्र थे जिसमें से सभी के सभी अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी थे।
साथ ही कुंती का एक और पुत्र कर्ण अपने आप में शक्ति का महाभंडार था। हस्तिनापुर के पास विश्व के सबसे शक्तिशाली योद्धा और लगभग अमर योद्धा भी उपलब्ध थे। लेकिन शक्तिशाली हो जाने का अर्थ अधर्म करने की छूट नहीं हो सकती है।
जिस प्रकार कौरवों ने अपने अधर्म के कारण पांडवों के साथ अन्याय किया, और न्याय तथा धर्म से विमुख हो गए, उसी विमुखता के कारण पूरी करो वंश का समूल विनाश हो गया।
आपने देखा होगा कि युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने किसी भी अस्त्र का उपयोग नहीं किया। हालांकि भगवान कृष्ण को किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र के उपयोग करने की आवश्यकता भी नहीं है। लेकिन अधर्म चाहे कितना भी बड़ा बलशाली शक्तिशाली बुद्धिमान ताकतवर हो जाए वह केवल विनाश के लिए ही पैदा होता है। और उसका समूल विनाश निश्चित होता है।
महाभारत से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
महाभारत से जुड़े कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:-
- क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम में एक माणा नाम का गांव है जिसे भारत का आखिरी गांव कहा जाता है। इसके नजदीक दो गुफाएं हैं जिसमें से एक को व्यास गुफा और दूसरी को गणेश गुफा कहा जाता है।
- इसमें एक गुफा में बैठकर वेदव्यास महाभारत को बोलते हैं और दूसरी गुफा में बैठकर भगवान श्री गणेश महाभारत को लिपिबद्ध करते हैं। यानि कि महाभारत को लिखने का काम करते हैं।
- आज तकरीबन 4000 से 5000 साल पहले या तकरीबन 6000 साल पहले महाभारत महाभारत की रचना की गई थी।
- महाभारत जिस गुफा में बैठकर की गई थी वह गुफा सरस्वती नदी और अलकनंदा नदी के संगम के तट पर मौजूद है, जिसे माणा गांव में पाया जाता है।
- महर्षि वेदव्यास ने केवल महाभारत के रचयिता से बल्कि इसके स्वयं पात्र भी थे।
- वेदव्यास जी किसी व्यक्ति का नाम नहीं था, बल्कि एक उपाधि का नाम है।
- जिस वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी उनका मूल नाम कृष्ण द्वैपायन था।
- महाभारत के अंतर्गत और भी कई प्रकार की गीता है, जिसे व्यास गीता, अष्टावक्र गीता, पाराशर गीता इत्यादि के नाम से जाना जाता है।
- श्रीमद्भागवत गीता एक संपूर्ण ज्ञान का भंडार है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण के बारे में जानकारी दी गई है।
- वैशम्पायन जी वेदव्यास जी के शिष्य थे, जिन्होंने राजा जन्मेजय के दरबार में महाभारत का पहली बार पाठन किया था।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि भीष्म पितामह और कृष्ण द्वैपायन दोनों भाई थे हालांकि सौतेले भाई थे।
- आपको यह तो पता ही होगा कि भारतीय महान धर्म ग्रंथों में 33 मुख्य देवताओं का वर्णन किया गया है, और शांतनु और गंगा के पुत्र के रूप में 8वें मुख्य देवता का जन्म भीष्म के रूप में हुआ था।
- क्या आप जानते हैं कि भीष्म पितामह के पिता शांतनु जी ने निषाद की पुत्री सत्यवती से अपना दूसरा विवाह किया था, और उनसे उन्हें दो पुत्र की प्राप्ति हुई थी जिनके नाम चित्रांगद और विचित्रवीर्य था।
- चित्रांगद युद्ध में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे जबकि विचित्रवीर्य राजा बने और उनकी शादी काशी के महाराज की पुत्री अंबिका और अंबालिका से होने वाली थी।
- आपको यह भी जानकर आश्चर्य होगा कि महाभारत में जो विदुर का पात्र है, वह यमराज का अवतार था, और अर्थशास्त्र में धर्मशास्त्र के महान ज्ञाता के रूप में उन्होंने अपना जीवन व्यतीत किया था।
निष्कर्ष
दोस्तों, आज के लेख में हमने आपको बताया कि महाभारत के रचयिता कौन है? (mahabharat ki rachna kisne ki thi) है। इसके अलावा हमने आपको महाभारत के संदर्भ में और भी कई प्रकार की ऐसी विशेष जानकारी उपलब्ध करवाई है जो आपको आपके भविष्य में काफी लाभदायक सिद्ध हो सकती है।
हम आशा करते हैं कि आज का हमारा यह लेख पढ़कर आप समझ चुके होंगे कि महाभारत किसने लिखा और कब लिखा (mahabharat ka writer kon hai). यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
महाभारत का दूसरा नाम क्या है?
महाभारत का दूसरा नाम जयसंहिता है।
महाभारत में असली हीरो कौन है?
कर्ण – महाभारत का वास्तविक नायक, भारत से विश्व का महानतम महाकाव्य (भाग II) कर्ण महान हिंदू महाकाव्य महाभारत में सबसे दुखद चरित्र है। अपने जन्म के बाद से ही उन्हें क्रूर भाग्य का सामना करना पड़ा। उसे उसकी अपनी माँ ने छोड़ दिया था।
महाभारत में कितने लोग मरे हैं?
महाभारत के स्त्री पर्व के एक एपिसोड में, धृतराष्ट्र युधिष्ठिर से युद्ध में मारे गए योद्धाओं की संख्या पूछते हैं। धृतराष्ट्र के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए युधिष्ठिर कहते हैं कि इस युद्ध में 1 अरब 66 करोड़ 20 हजार वीर मारे गए हैं। इनके अलावा 24 हजार 165 वीरों का कोई पता नहीं है।
महाभारत के समय भारत का क्या नाम था?
सामान्यतः महाभारत के आदिपर्व में भरत नाम के पीछे एक कथा है। गंधर्व विवाह महर्षि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की पुत्री शकुंतला और पुरुवंशी राजा दुष्यंत के बीच होता है। इन दोनों के पुत्र का नाम भरत था।
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