चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के आधार क्या है: दोस्तों किसी भी लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण पर्व चुनाव होता है। चुनाव के द्वारा जनता उस राजनेता को बदल सकती है जो लोकतंत्र में प्रगति प्रदान नहीं कर सकता और लोकतंत्र की खूबसूरती भी इसी में है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने का आधार क्या है (chunav ko loktantrik marne ka aadhar kya hai)? यदि आप नहीं जानते और जानना चाहते हैं तो आजकल एक में हमारे साथ में रहेगा क्योंकि आज के लिए हम आपको यह बताने वाले हैं कि चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के आधार क्या है।
तो चलिए शुरू करते हैं-
लोकतंत्र किसे कहते हैं?
लोकतंत्र किसे कहते हैं, यानी कि लोकतंत्र की परिभाषा क्या है, यह अपने आप में एक विचित्र सवाल हो सकता है लेकिन यह सवाल काफी बार लोगों के द्वारा पूछा जाता है इसलिए हम आपको बताते हैं कि लोकतंत्र किसे कहते हैं। लोकतंत्र आमतौर पर देश चलाने का एक ऐसा सिस्टम होता है जिसके अंतर्गत सरकारों का सृजन जनता के द्वारा, जनता के लिए और जनता के हित में ही किया जाता है।
यानी कि जो सरकार देश को चलाती है वह सरकार जनता के द्वारा जनता के लिए और जनता के हित में काम करती है, और उस सरकार में काम करने वाले लोग जनता के द्वारा चुनकर ही सरकार में भेजे जाते हैं। इस पूरी व्यवस्था को लोकतंत्र कहा जाता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि लोकतंत्र एक मध्यमवर्गीय सिस्टम है जो ना तो कभी भी अत्यंत बुरा हो सकता है और ना ही कभी अत्यंत अच्छा हो सकता है। लोगों को हमेशा लोकतंत्र में बुराइयां और अच्छाइयां नजर आती रहेंगी। इसके उलट तानाशाही और राजतंत्र में बहुत ज्यादा अच्छाई और बहुत ज्यादा बुराई देखी जा सकती है।
भारत में चुनाव लोकतांत्रिक कैसे बनता है?
भारत में वोट देने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है और यह नागरिकों का कर्तव्य नहीं बल्कि अधिकार है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष न होकर अप्रत्यक्ष रूप से होता है। इनका चुनाव जन प्रतिनिधियों द्वारा होता है। चुनाव के समय संपूर्ण प्रशासनिक मशीनरी चुनाव आयोग के नियंत्रण में कार्य करती है।
लोकतंत्र में चुनाव का महत्व क्या है?
लोकतंत्र का मतलब ही यह होता है कि देश के हितों के लिए निर्णय लेने वाली सरकार जनता के द्वारा बनाई जाती है, और उस सरकार में काम करने वाले लोग जनता के द्वारा चुनकर भेजे जाते हैं। इसलिए लोकतंत्र में चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यदि किसी लोकतंत्र में चुनाव नहीं हो रहा है तो वह लोकतंत्र लोकतंत्र की शक्ल में अर्धप्रजातंत्र साबित हो सकता है, लेकिन यदि किसी देश की शासन व्यवस्था प्रशासन व्यवस्था और निर्णायक व्यवस्था ऐसी सरकार के द्वारा नियंत्रित की जाती है, जिसे जनता के द्वारा जनता के लिए बनाया गया है, तो ही वह लोकतंत्र कहला सकती है। लोकतंत्र की परिभाषा को संपूर्ण करने के लिए लोकतंत्र में चुनाव का होना आवश्यक है।
चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के आधार क्या है?
चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के कई आधार हो सकते हैं। चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के सभी आधार कुछ इस प्रकार है-
- निर्वाचन आयोग की भूमिका
- न्याय व्यवस्था की अखंडता
- संविधान की सर्वोच्चता
- कानून व्यवस्था की मजबूती
यह चार तत्वअपने आप में किसी भी चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के आसार बन सकते हैं।
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निष्कर्ष
आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के आधार क्या है उत्तर के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।
लोकतांत्रिक चुनावों से आप क्या समझते हैं?
लोकतंत्र का मूल रूप प्रत्यक्ष लोकतंत्र था। लोकतंत्र का सबसे आम रूप आज एक प्रतिनिधि लोकतंत्र है, जहां लोग अपनी ओर से शासन करने के लिए सरकारी अधिकारियों का चुनाव करते हैं, जैसे संसदीय या राष्ट्रपति लोकतंत्र में।
भारत में सरकार का चुनाव कैसे होता है?
भारत में चुनाव भारत के संविधान के तहत बनाए गए भारत के चुनाव आयोग द्वारा आयोजित किए जाते हैं। यह एक सुस्थापित परिपाटी है कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद चुनाव आयोग द्वारा परिणाम घोषित किए जाने तक कोई भी अदालत किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
भारत के चुनाव आयोग में कितने सदस्य हैं?
आयोग में वर्तमान में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं। जब पहली बार 1950 में इसका गठन किया गया था और 15 अक्टूबर 1989 तक, यह एक सदस्यीय निकाय था जिसमें केवल मुख्य चुनाव आयुक्त शामिल थे।
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