प्रारूप समिति क्या है? प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?
samvidhan sabha ke prarup samiti ke adhyaksh kaun the
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रारूप समिति मूल रूप से हमारे भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए और भारतीय संविधान के प्रारूप पर विचार और विमर्श करने के लिए संविधान सभा के द्वारा 29 अगस्त 1947 को तैयार की गई थी।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस Prarup Samiti ke adhyaksh kaun the? यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं क्योंकि आज हम आपको बताने वाले हैं कि संविधान सभा किसके द्वारा बनाई गई और Prarup Samiti ke adhyaksh kaun the? तथा उन्हें अध्यक्ष क्यों बनाया गया। तो चलिए शुरू करते हैं
प्रारूप समिति क्या है? | Prarup Samiti kya hai
मित्रों, प्रारूप समिति एक प्रकार से संविधान सभा के द्वारा बनाई गई एक ऐसी समिति थी जिसे इस उद्देश्य से बनाया गया था ताकि भारत के संविधान के प्रारूप के ऊपर विचार विमर्श कराया जा सके, और भारत के संविधान में यदि कहीं कोई त्रुटि हो तो उसे दूर किया जा सके व एक सर्वथा उचित संविधान (उस समय के हिसाब से) तैयार किया जा सके। प्रारूप समिति संविधान सभा के द्वारा तैयार करी गई थी।
संविधान सभा की सबसे पहली बैठक मूल रूप से 1 दिसंबर 1946 को हुई थी, और यह बैठक दिल्ली के संविधान हॉल में की गई थी। इस के अस्थाई अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद को बनाया गया था और 11 दिसंबर 1996 को ठीक 10 दिन बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया था।
जब 3 जून 1947 को माउंटबेटन ने अपने घोषणा में भारतीय विभाजन को स्पष्टता प्रदान की, तब यह बात निश्चित हो गई कि भारत का विभाजन होकर ही रहेगा।
इसी लिए संविधान सभा का पुनर्गठन होना आवश्यक था, और इसलिए निश्चित किया गया की पुनर्गठित होने वाली संविधान सभा में सदस्यों की संख्या 324 होगी, जिसमें सभी देशों के प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाएगा।
संविधान सभा के सलाहकार का नाम वी।एन। राव था तथा संविधान के प्रारूप पर विचार विमर्श करने के लिए संविधान सभा ने 29 अगस्त 1947 ईस्वी को एक संकल्प पारित किया था। उस संकल्प के अंतर्गत प्रारूप समिति का गठन किया गया। इसके अध्यक्ष के रूप में उस समय के नेताओं में सबसे ज्यादा शिक्षित और समर्थ व्यक्ति, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को चुना गया।
प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे? | Prarup Samiti ke adhyaksh kaun the?
संविधान सभा के द्वारा 29 अगस्त 1947 ईस्वी को प्रारूप समिति बनाई गई थी, और इसके अध्यक्ष के रूप में “डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी” को चुना गया। प्रारूप समिति में मूल रूप से 7 सदस्य थे,
- जिनमें पहला नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का था।
- दूसरा एनजी अयंगर यानी एन गोपाल स्वामी आयंगर था।
- तीसरे बीएल मित्रा थे, जिनके स्थान पर माधवन जी को नियुक्त किया गया।
- चौथे व्यक्ति का नाम के. एम. मुंशी था।
- पांचवें का कृष्णस्वामी अयंगर था।
- छठे व्यक्ति का नाम सैयद मोहम्मद सादुल्लाह था।
- सातवें साथ में व्यक्ति का नाम डीपी खेतान था। डीपी खेतान की मृत्यु के पश्चात टीटी कृष्णमाचारी को उनके स्थान पर प्रारूप समिति का सदस्य बनाया गया।
संविधान सभा में हर व्यक्ति को 10 लाख की जनसंख्या के आधार पर चुनकर आना होता है। यानी कि हर एक व्यक्ति 10 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। संविधानसभा में 21 फरवरी 1948 को डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने प्रारूप समिति की अंतिम रिपोर्ट पेश की गयी।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर कौन थे?
मित्रों, यह सवाल अपने आप में काफी विशाल है। क्योंकि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, भारत के उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे जिन्होंने देश प्रेम के लिए, अपने लोगों की भलाई सोचने के लिए, अपने लोगों का भला करने के लिए हर संभव प्रयास किए।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन में सर्वोच्च काम किए साथ ही साथ भारत जैसे महान राष्ट्र का संविधान तैयार करने का काम भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने किया था।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का पूरा नाम डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर था उन्होंने भारत के निचले तबके या कहे तो गरीब वर्ग के लिए ऐसे महान काम किए कि लोगों के दिल में उन्होंने अपनी जगह बना ली। आज भी लोग उन्हें बाबा अंबेडकर या बाबा साहब अंबेडकर के नाम से जानते हैं।
भारत में विभिन्न प्रकार के धर्म पंत तथा मजहब बसते हैं, और उनमें से हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में मूल रूप से जहां अछूत होने की संभावना नहीं होती है, वहां भी समय अनुसार कुछ कुरीतियों ने अपना घर बनाया और एक बड़े वर्ग को जो संसाधनों से विभक्त थे, उन्हें अछूत घोषित कर दिया गया।
हालांकि कर्म प्रधान भारत में लोगों ने अपनी जाति को अधिक महत्व देते हुए कुछ विशेष जाति के लोगों को अछूत तथा दलित का दर्जा दिया।
बाबासाहब के दलितों के उत्थान के लिए प्रयास
उन्हीं दलितों के समाज से उठकर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने भारत के संविधान को तैयार करने का काम किया। बाबा भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध कई अभियान चलाए जिसमें श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन उन्होंने किया।
इसी के साथ भारत के प्रथम कानून मंत्री के तौर पर या विधि व न्याय मंत्री के तौर पर और भारतीय संविधान के जनक के तौर पर उन्होंने भारतवर्ष को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया।
बाबा भीमराव अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 18 अप्रैल को हुआ था, और उनका जन्म में ब्रिटिश भारत के महू प्रांत में हुआ था, जिसे मध्यप्रदेश के नाम से भी जाना जाता है, और उनकी मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को 65 वर्ष की आयु में हुई थी। उनकी चैत्यभूमि और समाधि स्थल महाराष्ट्र में स्थित है।
बाबा भीमराव अंबेडकर भारत के महान रत्नों में से एक थे और इसी के कारण आज के समय भारत में दलित वर्ग के लोग भी अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा पाते हैं।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने जाना कि प्रारूप समिति क्या है, तथा Prarup Samiti ke adhyaksh kaun the? इसी के साथ हमने आपको प्रारूप समिति व संविधान सभा के बारे में विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान दी। हम आशा करते हैं कि आज का यह लेख आपके लिए काफी ज्ञानवर्धक रहा होगा। यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
FAQ
प्रारूप समिति के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
1947 में आज ही के दिन संविधान सभा ने संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए डॉ. भीम राव अम्बेडकर की अध्यक्षता में एक मसौदा समिति का गठन किया था।
प्रारूप समिति के 7 सदस्य कौन कौन थे?
प्रारूप समिति के सदस्य थे:
डॉ बी. आर. अम्बेडकर।
अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर।
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
मोहम्मद सादुत्ता।
एन गोपालस्वामी अय्यंगर।
बी. एल. मिटर।
डी.पी. खेतान।
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