जे जे थॉमसन का परमाणु मॉडल | (J. J. Thomson’s atomic model)
what are the limitation of jj thomson model of the atom in hindi
नमस्कार दोस्तों, यदि आप विज्ञान विषय पढ़ते हैं या फिर विज्ञान विषय के अंतर्गत अपनी रूचि रखते हैं तो आपने जे जे थॉमसन के परमाणु मॉडल के बारे में तो जरूर पढ़ा होगा या फिर जरूर सुना होगा। दोस्तों क्या आप जानते हैं, जे जे थॉमसन का परमाणु मॉडल क्या है इसलिए उनकी क्या कमियां है तथा इस नियम का सिद्धांत क्या है? (thomson model of atom class 9 notes)। यदि आपको इस सवाल का जवाब मालूम नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं, कि जे जे थॉमसन का परमाणु मॉडल क्या है। और इस विषय से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी अभी हम आपको इस पोस्ट में देने वाले हैं।
जे जे थॉमसन का परमाणु मॉडल क्या है? (jj thomson ka parmanu model kya hai)
अगर बात की जाए कि जे जे थॉमसन के द्वारा दिए गए परमाणु मॉडल के अंतर्गत उनके द्वारा परमाणु की क्या व्याख्या की गई है तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि जे जे थॉमसन ने सन 1891 से लेकर 1897 तक परमाणु पर अलग-अलग प्रकार के प्रयोग किए तथा उस पर रिसर्च की थी।
इसके बाद जेजे थॉमसन के द्वारा एक परमाणु मॉडल दिया गया था, जिसे जेजे थॉमसन का परमाणु मॉडल कहा जाता है। इस परमाणु मॉडल के अंतर्गत जे जे थॉमसन ने परमाणु की व्याख्या करते हुए बताया कि परमाणु एक समान आवेशित गोला होता है, जिसकी त्रिज्या लगभग 10-10 cm होती है। इसके अलावा परमाणु के अंतर्गत जगह जगह पर इलेक्ट्रॉन धसे रहते हैं।
जे जे थॉमसन के द्वारा अपने परमाणु मॉडल को समझाने के लिए कई अलग-अलग प्रकार के उदाहरण दिए गए थे, जिनके अंतर्गत तरबूज का उदाहरण सबसे ज्यादा पॉपुलर है, इसके अंतर्गत जेजे थॉमसन ने पूरे तरबूज को एक परमाणु बताया था तथा जिसके अंतर्गत जो लालबाग होता है, वह धन आवेश होता है, और इसके अलावा जों बीज होते हैं, वह इलेक्ट्रॉन के रूप में होते हैं। यानी कि जे जे थॉमसन ने समझाया कि जिस तरह से एक तरबूज के अंतर्गत बीज होते हैं, उसी तरीके से एक परमाणु के अंतर्गत उसके इलेक्ट्रॉन होते हैं।
जे जे थॉमसन के परमाणु मॉडल की सीमाएं या फिर कमियां (jj thomson ke parmanu model ki kya simaye ya kamiya)
दोस्तों जे जे थॉमसन के द्वारा दिए गए परमाणु मॉडल के अंतर्गत बाद में अनेक प्रकार की अलग-अलग कमियां निकाली गई थी, जो निम्न प्रकार से है:-
- जे जे थॉमसन का परमाणु मॉडल रदरफोर्ड के द्वारा किए गए अल्फा किरण प्रयोग तथा हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम के बारे में नहीं समझा सकता यानी, कि इसके बारे में वह व्याख्या नहीं कर सकता।
- इस परमाणु मॉडल के अंतर्गत जे जे थॉमसन में किसी भी प्रकार से बताया नहीं बताया कि किसी भी प्रकार से इस बात की व्याख्या नहीं की थी कि धनात्मक आवेश प्रोटॉन तथा ऋण आत्मक आवेश इलेक्ट्रॉन आपस में किस तरह से या फिर किस प्रकार से जुड़े होते हैं।
- यह परमाणु मॉडल परमाणु के अस्तित्व के बारे में भी संपूर्ण जानकारी नहीं दे सकता था।
- इसके अलावा जे जे थॉमसन मुकेश परमाणु मॉडल के अंतर्गत परमाणु के नाभिक से संबंधित कोई भी जानकारी नहीं दी गई थी।
तो बाद में अलग-अलग वैज्ञानिकों के द्वारा की गई रिसर्च के बाद जे जे थॉमसन के परमाणु मॉडल के अंतर्गत ही है, सभी कमियां निकल कर सामने आई थी।
तो ऐसे में फिर रदरफोर्ड के द्वारा किए गए अल्फा परकिरण प्रयोग ने जे जे थॉमसन के परमाणु मॉडल का पूरी तरीके से खंडन कर दिया था।
निष्कर्ष
तो दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपने जाना कि, जे जे थॉमसन का परमाणु मॉडल क्या है (jj thomson ke parmanu model ki kya simaye hai), इसके अंतर्गत परमाणु की व्याख्या किस तरह से की गई है, तथा जे जे थॉमसन के परमाणु मॉडल के अंतर्गत क्या-क्या कमियां है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारी द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है।
जे जे थॉमसन ने परमाणु सिद्धांत के लिए क्या किया?
1897 में थॉमसन ने इलेक्ट्रॉन की खोज की और फिर परमाणु की संरचना के लिए एक मॉडल प्रस्तावित किया। उनके काम से मास स्पेक्ट्रोग्राफ का आविष्कार भी हुआ।
थॉमसन के मॉडल में कौन सी बड़ी कमजोरी बोहर ने ठीक की थी?
क्योंकि रदरफोर्ड का मॉडल इलेक्ट्रॉनों की स्थिति पर कमजोर था, बोर ने उन पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने परिकल्पना की कि इलेक्ट्रॉन नाभिक से एक निश्चित दूरी के भीतर ही नाभिक के चारों ओर घूम सकते हैं, जो कि उनके पास मौजूद ऊर्जा की मात्रा पर आधारित है। उन्होंने इन निश्चित दूरियों को ऊर्जा स्तर या इलेक्ट्रान कोश कहा।
थॉमसन का परमाणु मॉडल क्यों त्याग दिया गया था?
थॉमसन का परमाणु मॉडल यह समझाने में विफल रहा कि कैसे एक परमाणु के अंदर के इलेक्ट्रॉन एक सकारात्मक आवेश को वहन करते हैं। यह परमाणु की स्थिरता की व्याख्या करने में भी विफल रहा। सिद्धांत ने परमाणु के नाभिक के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया। यह रदरफोर्ड के प्रकीर्णन प्रयोग की व्याख्या करने में असमर्थ था।
थॉमसन के परमाणु मॉडल का दूसरा नाम क्या है?
थॉमसन के परमाणु मॉडल को प्लम पुडिंग मॉडल कहते हैं ।
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