भारतीय जनजातियों का भौगोलिक वितरण को समझाइए
भारत की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए | bhartiya janjatiyon ke bhogolik vitran ko samjhaie
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट में जनजातियां के बारे में बताने वाले है और भारतीय जनजातियो का भौगोलिक वितरण के बारे में भी बताने वाले है हम में से बहुत सारे लोगों भारतीय जनजातियो का भौगोलिक वितरण (bharat ki bhogolik visheshta par prakash daliye) के बारे में नहीं पता होगा अगर आप सभी लोग भी भारतीय जनजातियो का भौगोलिक वितरण के बारे में जानना चाहते हैं तो आप इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं:-
जनजातियां का परिभाषा
एक ऐसा मानव समुदाय जो किसी एक अलग निश्चित हो भू-भाग पर निवास करता है और उस समुदाय का अपना एक अलग संस्कृति, अलग भाषा, अलग नियम, अलग रीति रिवाज होता है और यह केवल अपने समुदाय के लोगों में विवाह करती है ऐसे ही समुदाय को जनजातियां कहां जाता है। भारत में हर जनजातियां का जीवन सामान प्रकृति का नहीं होता है यह अलग-अलग भाषा, संस्कृत के हिसाब से होते हैं।
भारतीय जनजातियों का भौगोलिक वितरण को समझाइए
भारतीय जनजातियो को भौगोलिक परिस्थितिओ में बाटा गया है जो की निम्न प्रकार के है:-
पूर्वी क्षेत्र – पूर्वी क्षेत्र में खोंड, हो, उरांव, मुंडा, खरिया, जुआंग, बिरहोर, संथाल इत्यादि नामक जनजातियां पाई जाती है। पूर्वी क्षेत्रों में आमतौर पर झारखंड, पश्चिमी बंगाल ,उड़ीसा आदि जैसे शहर पाए जाते हैं। पूर्वी क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रजातियां प्रोये आस्टेलायड प्रजाति का ही एक भाग होती है। यह प्रजातियां ऑस्ट्रिक भाषा को बोलती हैं।
पश्चिमी क्षेत्र – पश्चिमी क्षेत्र में कोली, डस्ला, बाली, मीणा, भील, महादेव, गरसिया ,सांसी और सहरिया इत्यादि नामक जनजातियां पाई जाती हैं। पश्चिमी क्षेत्र में राजस्थान, गुजरात ,मध्यप्रदेश और पश्चिमी महाराष्ट्र स्थित है। पश्चिमी क्षेत्र की जनजातियां ऑस्ट्रिक भाषा को बोलती है।
उत्तरी एरिया (क्षेत्र) – उत्तरी क्षेत्र में कनौटा, थारू, कचारी, नागा , कूकी, जैनसारी, बुक्सा इत्यादि नामक वाले जनजातियां पाई जाती हैं। उत्तरी क्षेत्र लेह और शिमला से लेकर पूर्व में स्थित लुसाईं पर्वत तक फैला हुआ है। उत्तर प्रदेश, हिमाचल, कश्मीर और असम यह सभी उत्तरी क्षेत्र में स्थित है। जो भी जनजातियां उत्तरी क्षेत्र में पाई जाती हैं वह मंगोल प्रजातियां के जैसे होते हैं।
मध्य एरिया (क्षेत्र) – मध्य क्षेत्र में भील, उरांव, रेड्डी, मुंडा, कोरथ, संथाल, बंजारा इत्यादि जनजातियां पाई जाती हैं। मध्य क्षेत्र में मध्य प्रदेश, बंगाल, उड़ीसा, बिहार, पूर्वी गुजरात, दक्षिण उत्तर प्रदेश, दक्षिणी राजस्थान ,उत्तरी महाराष्ट्र यह सारे प्रदेश मध्य क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
दक्षिणी एरिया (क्षेत्र) – दक्षिणी क्षेत्र में नायक, चेंचू, कादर, पनियड़, कुरुम्बा इत्यादि नामक जनजातियां पाई जाती है। दक्षिणी क्षेत्र में जनजातियों का भाषा द्रविड़ माना जाता है। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, हैदराबाद ,चेन्नई, मैसूर आदि यह सारे प्रदेश दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है।
निष्कर्ष
दोस्तों आशा करता हूँ कि इस पोस्ट में दी गई सारी जानकारी भारतीय जनजातियो का भौगोलिक वितरण को समझाइये (bhartiya janjatiyon ke bhogolik vivaran ko samjhaie) आपको पसंद आई होगी। अगर आपको इस पोस्ट से जुड़ा कोई भी सवाल हो तो आप बिना कुछ सोचे नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं। हम आपके सवाल का जवाब जल्द से जल्द देने की पूरी कोशिश करेंगे। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
FAQ
भारत में जनजातियों का भौगोलिक क्षेत्र कितने प्रतिशत है?
यह कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 21.05 प्रतिशत है। एकीकृत जनजातीय विकास कार्यक्रम (आईटीडीपी) लगभग 411,881 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस प्रकार देश का लगभग 60 प्रतिशत वन क्षेत्र आदिवासी क्षेत्रों में पाया जाता है।
भारत में जनजातियों का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
जनजातियों को उनके स्थायी और उपार्जित लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। आकार के संदर्भ में, जनजातियों की सबसे बड़ी संख्या 7 मिलियन है, जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में जनजातियों की सबसे छोटी संख्या 100 व्यक्तियों से कम है।
भारत में जनजातियों की प्रमुख समस्याएं क्या है?
जनजाति की मुख्य समस्या भूमि से अलग किया जा रहा है। जैसा कि हम जानते हैं कि जनजातियाँ अभी भी सभ्य समाज से दूर जंगलों और पहाड़ों में रहती हैं। जनजातियों की मुख्य समस्या भूमि से अलगाव रही है। प्रशासनिक अधिकारियों, वन विभाग के ठेकेदारों, महाजनों आदि की एंट्री से इनका शोषण शुरू हो गया है।
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