बाल्कन युद्ध क्या है और द्वितीय बालकन युद्ध के कारण क्या है?
What is the Balkan War and what is the cause of the Second Balkan War?
दक्षिण पूर्वी यूरोप में 1908 में एक बड़ी उथल-पुथल की शुरुआत हुई थी, जिससे एक ऐसा घटनाक्रम शुरू हुआ जिसका अंत सीधा प्रथम विश्वयुद्ध तक पहुंच गया और यह बाल्कन समस्या थी।
बाल्कन समस्या के कारण ही प्रथम बाल्कन युद्ध और द्वितीय बाल्कन युद्ध हुआ। आज के इस लेख में हम द्वितीय बाल्कन युद्ध के क्या कारण थे, इसके बारे में जानेंगे। तो चलिए लेख शुरू करते है:-
बाल्कन युद्ध क्या है? | balkan yuddh kya hai
बाल्कन युद्ध से अर्थ उन दो युद्धों से है जो बाल्कन प्रायदीप मे हुए थे। सन् 1911 मे, टर्की के सुल्तान की अयोगता को देखते हुए, इटली ने ट्रिपोलि पर कब्जा कर लिया।
ऐसा होता देख बाल्कन राज्यों अर्थात यूनान, सर्बिया, बुलगारिया और माउंटीनिग्रो आदि ने मिलकर सन् 1912 मे टर्की पर आक्रमण किया और उसे बुरी तरह से हरा दिया। इस समस्या से यूरोप मे युद्ध का माहौल बन गया, इस लिए इसे बाल्कन समस्या कहा गया।
द्वितीय बालकन युद्ध के क्या कारण थे? | dwitiya balkan yuddh ke karan kya the
तुर्की साम्राज्य में जो गैर तुर्क जातियां थी, उनमें आपसी एकता का अभाव था। वह जातियां भी एक दूसरे से शत्रुता का भाव रखती थी। सरबिया, बलगारिया और यूनान में सदियों से जातीय शत्रुता चलता आ रहा था। तृतीय बाल्कन युद्ध होने की मुख्य वजह गैर तुर्क जातियों के mutual animosity कारण ही हुआ था।
बाल्कन युद्ध के अन्य कारण
प्रथम बाल्कन युद्ध और द्वितीय बाल्कन युद्ध निम्न कारणों से हुए थे:-
1. तुर्कों की दमनकारी नीति
तुर्क के सुल्तान ने अपनी ईसाई प्रजा के तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। उनकी दशा बड़ी शोचनीय थी। तुर्की अधिकारी और सुल्तान गेर तुर्की जातियों का शोषण करते थे और उनसे अपने स्वार्थ को पूर्ण करते थे। हर तरफ रिश्वतखोरी, बेईमानी, भ्रष्टाचार का बोलबाला था। इसी वजह से गैर तुर्की जातियों में आक्रोश बढ़ रहा था।
2. सह धार्मिकता तथा सहजातीयता की भावना
तुर्की साम्राज्य के समान धर्म और जाति के लोगो मे एक ही राज्य के रूप में संगठित होने की भावना जागृत हुई।
बाल्कन में इस तरह से सहजातीय और धार्मिक आंदोलन होने लगे, तो यह स्थिति विस्फोटक बन गई। इस तरह की परिस्थिति में तुर्की से युद्ध होना अनिवार्य हो गया।
3. गैर तुर्को मे राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार
तुर्की राज्य में तुर्की के मुकाबले गैर तुर्कों की संख्या अधिक थी। इसीलिए वहां गैर तुर्की मे अपना एक साम्राज्य बनाने की भावना का प्रचार हो रहा था।
वह अपनी भाषा, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देने के लिए बिल्कुल तैयार थे और अपने लिए एक स्वतंत्र राज्य का निर्माण करना चाहते थे। इसीलिए अब वह तुर्की के अधीन नहीं रहना चाहते थे।
4. युवा तुर्क क्रांति
सन 1908 मे टर्की में हुई क्रांति के परिणाम स्वरूप वहां के सुल्तान का शासन समाप्त हो गया और वहां पर संसदीय शासन की स्थापना की गयी।
परंतु थोड़े ही समय बाद युवा तुर्क आंदोलन के नेताओं ने गैर टर्की ने राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुई और उन्होंने गैर तुर्की लोगों पर संस्कृति और सभ्यता को थोपना शुरू किया। गैर तुर्कियों ने अपने क्रूरता के कारण हजारों ईसाइयों को मौत की सूली चढ़ा दिया
5. मेसिडोनिया की समस्या
सरबिया, यूनान, बलगारिया आदि मेसिडोनिया पर अपना अधिकार करना चाहते थे, क्योंकि मेसिडोनिया में सर्व, बलगार, तुर्क, अल्बेनियन यहूदी आदि अनेक जातियां बसती थी।
टर्की भी मेसिडोनिया पर से अपना अधिक आधिपत्य नहीं खोना चाहता था। इसके लिए उसने विभिन्न जातियों की परस्पर आपसी फूट करवाने पर प्रोत्साहन दिया।
6. यूरोपीय राज्यों के परस्पर विरोधी हित
सर्बिया और रूस सह जाति और सह धर्म के आधार पर मित्र थे। इसी प्रकार ऑस्ट्रिया और जर्मनी तुर्की में हुई समस्याओं में एक दूसरे के सहयोगी थे। इंग्लैंड चाहता था कि तुर्की साम्राज्य रूसी प्रभाव से मुक्त रहें।
दक्षिण में ऑस्ट्रिया का विस्तार ना हो इसके विरोध में इटली था। इस प्रकार से बाल्कन क्षेत्र यूरोपीय देशों के आपस में विरोधी हितों के कारण माहौल काफी गर्माया हुआ था।
7. क्रिट और यूनान में असंतोष
यूनान चाहता था कि टर्की साम्राज्य में जो उसके सहजातीय वर्ग थे, उन्हें वह अपने में मिला लें। यह संख्या लगभग 25 लाख से भी ज्यादा थी। क्रिट नाम के टापू के अधिकतम निवासी यूनानी थे।
यह टापू यूनान के दक्षिण में स्थित है। यह भी यूनान में मिलना चाहते थे। अतः एक एकीकरण आंदोलन ने जोर पकड़ लिया। जिससे यूनान और क्रिएट में असंतोष फैल गया।
8. इटली का ट्रिपोलि पर आक्रमण
सन 1911 में इटली के द्वारा ट्रिपोलि पर आक्रमण किया गया, जिसमें तुर्की की पराजय हुई और जिससे उसे लुसान संधि करनी पड़ी।
इस संधि के मुताबिक तुर्की ने तट्रिपोलि पर इटली का अधिपत्य स्वीकार कर लिया। इस युद्ध में हुई हार से तुर्की की दुर्बलता सामने आई। जिससे बाल्कन राज्यों मे उसके विरुद्ध संगठित होने की प्रेरणा बढ़ गई।
9. आर्मीनिया की समस्या
आर्मेनियन लोग मुख्यतः एशिया माइनर के उत्तर पूर्व प्रांतों में बसे थे। यह लोग मुख्यतः कृषि पर निर्भर थे। जब बर्लीन संधि हुई तो उसके अनुसार तुर्की के सुल्तान ने आर्मीनिया में सुधार करने का और उनकी रक्षा करने का वचन दिया था।
परंतु इस दिशा में उसने कोई भी कदम नहीं उठाया। जिसकी वजह से आर्मीनिया के लोग में राष्ट्रीयता की भावना पनपी और दिन-ब-दिन बढ़ती गई।
10. बाल्कन संघ
टर्की की अत्याचार पूर्ण और दमनकारी नीति के वजह से बाल्कन राज्य में असंतोष बढ़ता जा रहा था। सन 1911 तक वह आपसी भेदभाव को बुलाकर मेसिडोनिया की सहायता करने के लिए तैयार हो गए।
सन 1912 में बलगारिया और सर्बिया के बीच संधि भी हो गई। इस संधि के अनुसार सर्बिया और बलगारिया राज्य एक दूसरे की राज्य की अखंडता और स्वतंत्रता को बनाए रखने का वचन दिया और यह निश्चय किया कि यदि कोई अन्य बाल्कन क्षेत्र पर युद्ध करता है तो वह मिलकर उनका विरोध करेंगे।
बाद में यूनान और बलगारिया के बीच भी एक रक्षात्मक संधि हुई। मोंटेनीग्रो के साथ कोई लिखित संधि तो नहीं हुई परंतु उसमें मौखिक रूप से बाल्कन राज्यों का साथ देने का वचन दिया।
इस प्रकार सन 1912 में सरबिया, यूनान, बलगारिया और मोंटेनीग्रो का बाल्कन संघ बन गया। जिसका मुख्य उद्देश्य टर्की की दुर्बलता का लाभ उठाकर उस पर युद्ध करना और उसे हराकर जीते हुए राज्यों को आपस में बांटने था।
निष्कर्ष
दोस्तों, आज के इस लेख मे हमने आपको बताया कि द्वितीय बाल्कन युद्ध के क्या कारण थे? हमने इस लेख के जरिए आपको प्रथम बाल्कन युद्ध और द्वितीय बाल्कन युद्ध के कारणों को विस्तार पूर्वक बताया है।
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आएगी। यदि इस लेख से संबंधित कोई भी सुझाव या प्रश्न आपके मन में है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं और अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य साझा करें।
FAQ
बाल्कन क्यों कहा जाता है?
बाल्कन शब्द तुर्की है और इसका अर्थ है “पहाड़”, और प्रायद्वीप निश्चित रूप से इस प्रकार के भू-आकृतियों का प्रभुत्व है, खासकर पश्चिम में। बाल्कन पर्वत बुल्गारिया के पूर्व-पश्चिम में स्थित है, रोडोप पर्वत ग्रीक-बल्गेरियाई सीमा के साथ फैला है, और दीनारिक श्रेणी एड्रियाटिक तट से अल्बानिया तक फैली हुई है।
बाल्कन देश कौन कौन से हैं?
इस प्रकार पूरे अल्बानिया, ग्रीस, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया और रोमानिया के कुछ हिस्सों को बाल्कन प्रायद्वीप कहा जाता है। इन छह देशों को ‘बाल्कन स्टेट्स’ भी कहा जाता है।
द्वितीय बाल्कन युद्ध के कारण क्या है?
दूसरा बाल्कन युद्ध मुख्य रूप से गैर-तुर्की जातियों की आपसी दुश्मनी के कारण था।
द्वितीय बाल्कन युद्ध कब हुआ था?
8 अक्तूबर 1912 – 10 अगस्त 1913
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