धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक हिंदी में, अर्थ के साथ

dharmo rakshati rakshitah in hindi : “धर्मो रक्षति रक्षितः” एक ऐसा शाश्वत श्लोक है, जो धर्म की रक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। इस श्लोक का सरल अर्थ है कि जो व्यक्ति धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी भी रक्षा करता है।
वर्तमान समय में, जब नैतिकता और मूल्यों का पतन हो रहा है, इस श्लोक की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। इस ब्लॉग में हम इस श्लोक के अर्थ, इसके महत्व पर चर्चा करेंगे।
धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक हिंदी में
“धर्मो रक्षति रक्षितः” का पूरा श्लोक इस प्रकार है:
धर्मो रक्षति रक्षितः।
धर्मो हन्ति हताः।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो।
मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।
इस श्लोक (dharmo rakshati rakshitah) का अर्थ है: जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। जो धर्म का नाश करता है, धर्म उसका नाश करता है। इसलिए धर्म का पालन करना चाहिए, ताकि धर्म भी हमारी रक्षा कर सके।
धर्म की रक्षा कैसे करें? (Dharm ki raksha kaise karen)

धर्म की रक्षा का अर्थ केवल धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना नहीं है। यह समाज और मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों का पालन भी है। धर्म की रक्षा का मतलब है कि हम सत्य, न्याय, करुणा, और अहिंसा के मार्ग पर चलें।
सत्य का पालन
सत्य बोलना और सत्य के मार्ग पर चलना धर्म की रक्षा का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है। सत्य को जीवन का आधार मानकर हम धर्म की रक्षा (Dharm Ki Raksha) कर सकते हैं और इसके फलस्वरूप धर्म हमारी रक्षा करेगा।
न्याय और करुणा
न्याय करना और करुणा दिखाना धर्म की रक्षा का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है। न्याय का मतलब है कि हम किसी के साथ अन्याय न करें और सही को सही तथा गलत को गलत कहने का साहस रखें। करुणा का मतलब है कि हम दूसरों के दुखों को समझें और उनकी मदद करें।
अहिंसा का पालन
अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से दूर रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक हिंसा से भी दूर रहने का संदेश देता है। अहिंसा का पालन करके हम धर्म की रक्षा (Dharm Ki Raksha) कर सकते हैं।
धर्मो रक्षति रक्षितः की प्रासंगिकता

आज के समय में, जब समाज में नैतिकता और मूल्यों का ह्रास हो रहा है, यह श्लोक (dharmo rakshati rakshitah in hindi) और भी प्रासंगिक हो जाता है। जब हम धर्म के मार्ग पर चलते हैं और इसे अपने जीवन में लागू करते हैं, तो यह हमारे लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है। यह हमें जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
धर्म और समाज
धर्म की रक्षा (Dharm Ki Raksha) केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं होती, बल्कि यह समाज की समृद्धि और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब समाज में धर्म का पालन होता है, तो वहां शांति, समृद्धि और सामाजिक समानता होती है।
निष्कर्ष
“धर्मो रक्षति रक्षितः” एक शाश्वत सत्य है जो हमें यह सिखाता है कि धर्म की रक्षा करना न केवल हमारा कर्तव्य है, बल्कि यह हमारे और हमारे समाज की सुरक्षा का भी आधार है।
यदि हम सत्य, न्याय, करुणा, और अहिंसा के मार्ग पर चलें, तो धर्म की रक्षा संभव है, और धर्म हमारी रक्षा करेगा। आज के समय में, जब नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है, इस श्लोक (dharmo rakshati rakshitah) का महत्व और भी बढ़ जाता है।
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धर्मो रक्षति रक्षितः का क्या अर्थ है?
“धर्मो रक्षति रक्षितः” का अर्थ है कि जो व्यक्ति धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है।
धर्म का शाब्दिक अर्थ क्या है?
संस्कृत में ‘धर्म’ का अर्थ है ‘धारण करने वाला’ या ‘संपोषित करने वाला’। यह जीवन के नैतिक और सामाजिक कर्तव्यों को दर्शाता है।
धर्मो रक्षति रक्षितः श्लोक किस ग्रंथ में मिलता है?
यह श्लोक महाभारत के शांति पर्व में मिलता है।
धर्म का पालन न करने पर क्या परिणाम हो सकते हैं?
इस श्लोक के अनुसार, जो व्यक्ति धर्म का पालन नहीं करता या उसका हनन करता है, उसे अंततः विनाश का सामना करना पड़ता है।
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