CNT ACT Jharkhand: सीएनटी एक्ट में कौन कौन से जाति आते हैं?

सीएनटी एक्ट में कौन कौन से जाति आते हैं : भारत के झारखंड राज्य में, छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act) लागू है, जिसे मुख्य रूप से आदिवासियों और जनजातियों (Adivasis and tribes) की जमीन के अधिकारों की सुरक्षा के लिए 1908 में अंग्रेज़ों द्वारा बनाया गया था।
इस कानून का उद्देश्य आदिवासी समुदायों को जमीन से जुड़े अधिकारों में संरक्षण प्रदान करना और गैर-आदिवासियों द्वारा उनकी जमीन को हथियाने से रोकना है।
इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि सीएनटी एक्ट क्या है (CNT Act Kya Hai), सीएनटी एक्ट में कौन कौन से जाति आते हैं (CNT Act me Kaun Kaun se Jati Aate Hai) और इस कानून का महत्व क्या है।
सीएनटी एक्ट क्या है? (CNT Act Kya Hai)

झारखंड के छोटानागपुर क्षेत्र में लागू किया गया एक विशेष कानून है, जो आदिवासी और अनुसूचित जनजातियों को भूमि संबंधी अधिकार देता है। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासी लोगों द्वारा खरीदने और बेचने से रोकना है, ताकि आदिवासी जनसंख्या की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को संरक्षित किया जा सके।
सीएनटी एक्ट में कौन कौन से जाति आते हैं?
CNT Act (Chota Nagpur Tenancy Act) में मुख्य रूप से अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और पिछड़ी जातियों के लोगों को शामिल किया गया है। हालांकि, इसमें विशेष रूप से अनुसूचित जनजातियों को विशेष सुरक्षा दी गई है।
नीचे दी गई तालिका में प्रमुख जातियों (CNT Act me Kaun Kaun se Jati Aate Hai) का उल्लेख किया गया है जो इस एक्ट के अंतर्गत आती हैं:
वर्ग | शामिल जातियाँ |
---|---|
अनुसूचित जनजातियाँ | संथाल, मुंडा, हो, उराँव, असुर, बिरहोर, खरवार |
अनुसूचित जातियाँ | लोहरा, महली, बंजारा, चीक बड़ाईक |
पिछड़ी जातियाँ | कुर्मी, तेली, कोइरी, गोंड |
सीएनटी एक्ट के तहत भूमि संबंधी नियम

सीएनटी एक्ट के तहत भूमि का हस्तांतरण केवल उन्हीं आदिवासी जातियों के बीच में हो सकता है जो इस अधिनियम के तहत आती हैं। गैर-आदिवासियों (Non-Tribals) को आदिवासियों की भूमि खरीदने या हस्तांतरित करने का अधिकार नहीं है। यदि कोई आदिवासी व्यक्ति अपनी भूमि बेचने या हस्तांतरित करने का इरादा रखता है, तो उसे स्थानीय अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी।
सीएनटी एक्ट के फायदे (CNT ACT Ke Fayde)
- भूमि की सुरक्षा: यह अधिनियम आदिवासी लोगों की जमीन की सुरक्षा करता है और उन्हें अपनी पुश्तैनी जमीन से वंचित होने से बचाता है।
- आदिवासी संस्कृति की सुरक्षा: भूमि की सुरक्षा के साथ-साथ, यह अधिनियम आदिवासी समुदाय की संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाजों को भी बचाने में मदद करता है।
- आदिवासी संस्कृति की सुरक्षा: भूमि की सुरक्षा के साथ-साथ, यह अधिनियम आदिवासी समुदाय की संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाजों को भी बचाने में मदद करता है।
- आर्थिक सुरक्षा: भूमि आदिवासियों के लिए एक मुख्य आर्थिक संसाधन है, और सीएनटी एक्ट यह सुनिश्चित करता है कि उनकी आजीविका सुरक्षित रहे।
सीएनटी एक्ट के तहत चुनौतियाँ

हालांकि सीएनटी एक्ट (CNT ACT)आदिवासियों की जमीन की सुरक्षा के लिए बनाया गया है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ भी हैं। भूमि विवाद, कानून का गलत इस्तेमाल, और सरकारी अधिकारियों की भ्रष्टाचार जैसी समस्याएँ अक्सर इस अधिनियम की प्रभावशीलता को कम करती हैं।
इसके अलावा, विकास परियोजनाओं के लिए जमीन का अधिग्रहण भी एक विवाद का विषय है।
निष्कर्ष
सीएनटी एक्ट झारखंड के आदिवासी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है जो उनकी भूमि और संस्कृति की सुरक्षा करता है। इस अधिनियम के तहत आने वाली जातियाँ जैसे संथाल, मुंडा, और उराँव आदि, अपनी जमीन की सुरक्षा और हस्तांतरण के लिए इस कानून का पालन करती हैं।
हालाँकि, इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, लेकिन इसका उद्देश्य आदिवासियों की जमीन को बाहरी लोगों से बचाना और उनकी संस्कृति की रक्षा करना है।
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सीएनटी एक्ट के तहत कौन-कौन सी जातियाँ आती हैं?
संथाल, मुंडा, उराँव, हो, बिरहोर, असुर, भूमिज जैसी आदिवासी जातियाँ इस अधिनियम के तहत आती हैं।
क्या गैर-आदिवासी व्यक्ति सीएनटी एक्ट के तहत भूमि खरीद सकता है?
नहीं, सीएनटी एक्ट गैर-आदिवासियों को आदिवासियों की भूमि खरीदने की अनुमति नहीं देता।
क्या सीएनटी एक्ट के तहत भूमि की बिक्री की जा सकती है?
हाँ, लेकिन केवल उन्हीं आदिवासी जातियों के बीच जिनका अधिनियम में उल्लेख है, वह भी सरकारी अनुमति के बाद।
सीएनटी एक्ट किस जिले में लागू नहीं है?
यह एक्ट झारखंड के सभी जिलों में सिवाय संथाल परगना को छोड़कर लागू हैं।
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