BJP trying to win 2022 with the help of 2002 understand equation with Ahmedabad – India Hindi News

गुजरात में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए प्रचार शनिवार को थम हो गया। गुजरात का इस बार का चुनाव कई तरह से काफी अहम माना जा रहा है। सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में बने रहने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। राजनीतिक बंधन की शर्त तो राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी 2002 के आंकड़े 2022 को जीतने की कोशिश कर रही है। बीजेपी ने मनपा में नरोदा विधानसभा क्षेत्र से मनोज कुकरानी की 30 साल की बेटी पायल कुकरानी को मैदान में उतारा है। 2002 के गुजरात दंगे में नरोदा के नरोदा पाटिया जनसंहार केश में भट्टी कुकरानी को उम्रकैद की सजा मिली है। अब बीजेपी ने मनोज की बेटी को टिकट दिया है।
हिंदू बहुल नरोदा सीट 1990 के बाद से बीजेपी का गढ़ रहा है इस क्षेत्र की अधिकांश आबादी के लिए एक असाधारण विकल्प है। सीट पर रैंकिंग की बात करें तो यहां सिंधी और प्रवासी मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। सिंधी वोटरों की संख्या करीब 60 हजार के करीब है। इतने ही वोटर भी हैं। 48 हजार ओबीसी हैं। इसके अलावा इस सीट पर 4000 मुस्लिम मतदाता हैं। दलित गुजराती क्षत्रिय, गुजराती ब्राह्मण आदि को मिलाकर मतदाताओं की संख्या करीब 2.2 लाख के आसपास पहुंच गई है। ऐसे में शॉट कुकरानी से बेहतर उम्मीदवार कोई नहीं हो सकता।
बीजेपी-कांग्रेस और आप में लड़ाई
कांग्रेस पार्टी के मनोज डोडवानी यहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। एनसीपी जो कि गुजरात में कांग्रेस के साथ गठबंधन का हिस्सा है। दूसरी ओर अरविंद अभिषेक करने वाला आम आदमी पार्टी ओम तिवारी लाइट को मैदान में चढ़ता है। आपने ओम प्रकाश तिवारी को मैदान में हटाकर ब्राह्मण वोटरों को साधने का प्रयास किया है।
पिता का उल्लेख करने से बचती हैं पायल
इस चुनाव में सबसे कम उम्र की गरीबी में एक पायल ने चुनाव प्रचार अभियान में युवाओं के साथ वरिष्ठ नागरिकों को अपनी ओर मोड़ने का भरपूर प्रयास किया है। चुनाव प्रचार के दौरान पायल ने अपने पिता का जिक्र नहीं किया। टिकट की मांग को लेकर बीजेपी को अपने अधिकृत पत्र में अधिकृत किया गया है, उन्होंने इस तथ्य को रेखांकन किया है कि उनके पिता पूर्व मंत्री माया कोडनानी के साथ नरोदा पाटिया मामले में जेल गए थे। पत्र में बताया गया था कि कोडनानी ने 1998, 2002 और 2007 में नरोदा सीट चार्ट बनाया था। सजा होने के बाद साल 2012 के विधानसभा चुनाव में कोडनानी को बदल दिया गया। यह बात निश्चित रूप से है कि सत्ताधारी पार्टी चुनाव प्रचार के दौरान केवल और केवल विकास की बात कर रही है।
सिगरेट राज का भी उठाओ
चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की ओर से कांग्रेस पर वीडियो दिखाने के लिए ‘कर्फ्यू राज’ का भी माखौल उड़ाया गया। बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में गुजरात में कई आम बात हो गई थी। गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले 27 साल के शासन में बीजेपी ने राज्य के मतदाताओं को प्रायोजित करने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन आप में से कई लोग होंगे जो 250 दिनों तक चलने वाले हरियाली को देखा होगा। कांग्रेस ने दंगों का समर्थन किया। राज्य में 2002 के बाद से शांति कायम है।
बीजेपी का गढ़ रहा है मनपाड़ा
अहमदाबाद शहर में 16 विधानसभा सीटें हैं, 11 पूर्व में और पांच पश्चिम में हैं। दशकों से बीजेपी ज्यादातर सीटें जीत रही हैं। मणिनगर सीट जो कभी नरेंद्र मोदी का गढ़ हुआ करता था और नारनपुरा सीट जिसे अमित शाह का गढ़ माना जाता था। इन कवर्स पर आज भी बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी अपने लॉयल्टी पाटीदार वोटरों की हर साल 2017 के चुनावों में नारोल, निकोल और ठक्करबपानगर में जीत सुनिश्चित करने की थी। ये वो दौर था जब कांग्रेस की कहीं न कहीं लहर थी और उसे 77 मामले पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि, मिनेसोटा में बीजेपी ने 16 में 12 शटर पर कब्जा कर लिया।