जानें भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए?, वास्तु शास्त्र के नियम और प्रभाव
भगवान का मुख किस दिशा में nahi होना चाहिए | bhagwan ko kis disha mein rakhna chahie

भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए : घर के मंदिर को किसी अंधेरी स्थान पर न रखना चाहिए। सूर्य को आत्मा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए मंदिर को सूर्य की रोशनी के आस-पास ही रखना सबसे अधिक उपयुक्त माना जाता है। अगर मंदिर और मूर्तियाँ अंधेरे स्थान पर रखी जाती हैं, तो घर में वास्तु दोष का कारण बन सकता है।
आप यदि मंदिर और मूर्ति की स्थापना समय और दिशा के अनुसार करते हैं, तो आपके जीवन में सदैव सुख समृद्धि बनी रहेगी। अगर आप को ये लेख पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करना न भूलें।
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भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए

हिन्दू धर्म में पुराण के अनुसार, गृह मंदिर में भगवान का चेहरा हमेशा उत्तर पूर्व की दिशा में होना सर्वोत्तम माना जाता है। उत्तर पूर्व को “सकारात्मक ऊर्जा की दिशा” कहा गया है, क्योंकि परमेश्वर सूर्य उसी दिशा के उसी दिशा से उदय होते हैं।
यह विश्वास किया जाता है कि इस दिशा में भगवान के मूर्ति के चेहरे को देखने से सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा घर के मंदिर में मूर्तियों के माध्यम से प्रवेश करती है, और पूजारी को भी ऊर्जावान और सकारात्मक बनाती है।
वास्तु के अनुसार घर का मंदिर सदैव ईशान कोण में (ईशान कोण में न रखें ये वस्तुएँ) होना आवश्यक है।
पूजन के दौरान भक्त का मुख किस दिशा में होना चाहिए?

हमेशा याद रखना चाहिए कि पूजा के समय भगवान का चेहरा और हमारा चेहरा सही दिशा में होना चाहिए। यह मान्यता है कि अगर गलत दिशा की ओर चेहरा करके पूजा की जाती है, तो वह पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं होती है।
पूजा करने से हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, इसलिए सही दिशा में बैठकर पूजा करना प्रशंसनीय है। पूजा के समय आपका चेहरा उत्तरी दिशा में होना चाहिए। यह पूजा के लिए सबसे समर्थित दिशा मानी जाती है। आप पूर्वी दिशा की ओर चेहरा करके भी पूजा कर सकते हैं, परंतु कभी भी दक्षिण की ओर चेहरा करके पूजा नहीं करनी चाहिए।
देवी स्थापना के लिए सबसे शुभ दिशा कौन सा हैं?

जब हम अपने घर के मंदिर में किसी देवी की मूर्ति स्थापित करते हैं, तो उस समय दक्षिण मुखी प्रतिमा को सबसे फल देने वाली माना जाता है। इस मान्यता के अनुसार, अगर मंदिर में देवी का मुख दक्षिण की दिशा में होता है, तो पूजा से पूर्ण फल मिलता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, देवी की मूर्ति का मुख कभी भी उत्तर की दिशा की ओर नहीं होना चाहिए।
कुबेर भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए?
कुबेर देवता का मुख घर के मुख्य द्वार पर होना चाहिए, ताकि आते हुए लोगों पर कुबेर देव की नजर पड़े। ऐसा कहा जाता है कि इससे धन (धन संबंधित उपाय) और समृद्धि का आगमन होता है।
साथ ही इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि जिस स्थान पर आप कुबेर देव की मूर्ति रख रहे है, वह स्थान साफ-सूथरा होना चाहिए। इससे कुबेर देवता बेहद प्रसन्न होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार हो सकता है।
घर के मंदिर को अंधेरे स्थान पर न रखें

किसी भी समय घर में मंदिर को अंधेरे स्थान पर नहीं रखना चाहिए। सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है, और इसलिए मंदिर को सूर्य की रोशनी के आस-पास ही रखना सबसे उपयुक्त माना जाता है।
यदि मंदिर और मूर्तियाँ अंधेरे स्थान पर रखी जाती हैं तो यह घर में वास्तु दोष का कारण बन सकता है।
भगवान के मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए?
पूजा कक्ष घर के उत्तर-पूर्व कोने में स्थित होना चाहिए , क्योंकि इसे पूजा के लिए सबसे अच्छी दिशा माना जाता है। उत्तर-पूर्व दिशा अग्नि (आग) तत्व से जुड़ी है, जिसे सकारात्मकता, पवित्रता और आध्यात्मिक उत्थान लाने वाला माना जाता है।

इस दिशा को भगवान ईशान (एक हिंदू देवता) की दिशा भी कहा जाता है और इसे ज्ञान और बुद्धि की दिशा माना जाता है।साथ ही ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा कक्ष होने से घर के निवासियों को समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और सफलता मिलती है।
इन सब के अलावा यह आध्यात्मिक विकास में भी मदद करता है और ध्यान और प्रार्थना के लिए सकारात्मक माहौल प्रदान करता है। यदि उत्तर-पूर्व दिशा में कोई और चीज़ है, तो आप घर के लिए मंदिर की दिशा के रूप में उत्तर या पूर्व भी चुन सकते हैं।
Conclusion
घर में मंदिर की उचित दिशा जानना हिंदू धार्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक है। वास्तु के अनुसार, मंदिर की उचित दिशा घर के निवासियों को खुशी, धन और स्वास्थ्य प्रदान कर सकती है।
मंदिर के लिए आदर्श दिशा पूर्व मानी जाती है, क्योंकि उगते सूरज को ईश्वर का प्रतीक माना जाता है। हालाँकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि जब तक जगह साफ और शांत है, तब तक दिशा हमेशा ज़रूरी नहीं होती।
मंदिर को घर के शांत और शांत क्षेत्र में रखा जाना चाहिए, ध्यान भटकाने वाली चीज़ों से दूर। यह सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि मंदिर साफ-सुथरा और अच्छी तरह से बनाए रखा जाए, क्योंकि इसे एक पवित्र स्थान माना जाता है।
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क्या हम मंदिर में शंख रख सकते हैं?
घर के मंदिर में शंख रखना शुभ माना जाता है. शंख बजाने से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
दिया जलाने के लिए कौन से तेल का इस्तेमाल करना चाहिए?
वास्तु के मुताबिक गाय का घई सबसे ज्यादा अच्छा है। आप सिसेम या सरसों के तेल का इस्तेमाल दिया जलाने के लिए कर सकते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होते हैं।
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