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रामचरित्र मानस की भाषा क्या है? | Ramcharitmanas Ki Bhasha

रामचरितमानस किस भाषा में लिखी गई है? | ramcharitmanas ki rachna kis bhasha mein hui hai

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नमस्कार दोस्तों, यदि आप हिंदी साहित्य के अंतर्गत रूचि रहते हैं या फिर आप हिंदू धर्म के इतिहास के अंतर्गत रुचि रखते हैं, तो आपने अक्सर राम चरित्र मानस के बारे में तो जरूर पढ़ा होगा, या फिर राम चरित्र मानस के बारे में आपने अलग-अलग जगहों पर जरूर सुना होगा। दोस्तों क्या आप जानते हैं, कि रामचरित्र मानस की भाषा क्या है (ramcharitmanas kis bhasha mein likhi gayi hai), यदि आपको इस सवाल का जवाब मालूम नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं , की रामचरितमानस की भाषा कौन सी है? (ramcharitmanas ki rachna kaun si bhasha mein hai)। और इस विषय से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी अभी हम आपको इस पोस्ट में देने वाले हैं।

रामचरित्र मानस की भाषा क्या है?

ramcharitmanas ki rachna kaun si bhasha mein hai
रामचरितमानस’ की भाषा है? | ramcharitmanas ki bhasha kaun si hai

दोस्तो कई अलग-अलग प्रकार की कंपटीशन परीक्षाओं के अंतर्गत यह सवाल पूछ लिया जाता है, कि रामचरितमानस की भाषा क्या है, या फिर राम चरित्र मानस की रचना किस भाषा के अंतर्गत की गई है। तो ऐसे में बहुत से लोगों को इस के सवाल का जवाब पता नहीं होता है यदि आपको भी इसके बारे में जानकारी नहीं है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं, कि रामचरित्र मानस की भाषा “अवधि” है।

यानी कि रामचरित्र मानस की रचना अवधी भाषा के अंतर्गत की गई है। अगर अवधी भाषा के इतिहास के ऊपर बात की जाए, या फिर अवधी भाषा के बारे में और अधिक जानकारी देखी जाए, तो अवधी भाषा प्राचीन समय के अंतर्गत उत्तर भारत के अंतर्गत काफी ज्यादा बोली जाती थी, तथा प्राचीन भारत के उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के अंतर्गत भाषाओं को काफी ज्यादा मात्रा के अंतर्गत बोला जाता था।

जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं, कि रामचरित्र मानस की रचना हमारी हिंदी इतिहास के महान कवि तुलसीदास जी के द्वारा की गई थी, तथा तुलसीदास जी के द्वारा ही अवध भाषा के अंतर्गत इस महाकाव्य को रखा गया था।

बुंदेली मानने वालों की संख्या

भारत में बुंदेली मानने वालों की संख्या लगभग ३ करोड़ है। बुंदेली भाषा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में बोली जाती है। इसकी व्यापक उपस्थिति के कारण, बुंदेली भाषा भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध है। बुंदेली भाषा का उपयोग कई लोकगीतों, कविताओं और कथाओं में किया जाता है।

रामचरितमानस की भाषा क्या है? स्वामी रामभद्राचार्य जी के विचार

रामचरितमानस की भाषा अवधी है। यह भाषा उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड के कुछ हिस्सों में बोली जाती है।

स्वामी रामभद्राचार्य जी ने रामचरितमानस के बारे में कहा है कि इस ग्रंथ में लोकभाषा का उपयोग किया गया है जो उत्तर भारतीय जनजातियों द्वारा बोली जाती है। इस भाषा में अपनी सामान्य जीवन और संस्कृति से संबंधित बातें बताई गई हैं जो उत्तर भारत की जनता के लिए आसान होती हैं। इस तरह रामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है जो भाषा के द्वारा एक संपूर्ण समाज की भावनाओं और संस्कृति को व्यक्त करता है।

निष्कर्ष

तो दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपने जाना कि रामचरितमानस की भाषा क्या है? (ramcharitmanas kis bhasha mein likha gaya hai), इसके अलावा भारत में बुंदेली बोले जाने वाले लोगों की संख्या कितनी है।  हमें उम्मीद है कि आपको हमारी द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है।

रामचरितमानस की मुख्य भाषा क्या है?

रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है।

रामायण कितनी भाषा में लिखा गया है?

हिंदी में कम से कम 11 रामायण, मराठी में 8, बंगाली में 25, तमिल में 12, तेलुगू में 12 और उड़िया में 6 रामायण मिलती हैं। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा हिन्दी में रचित रामचरित मानस को उत्तर भारत में विशेष स्थान प्राप्त हुआ। इसके अलावा संस्कृत, गुजराती, मलयालम, कन्नड़, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में राम कथा लिखी गई।

रामचरितमानस का मुख्य छंद कौन सा है?

‘रामचरितमानस’ मुख्य रूप से दोहा तथा चौपाई छंद में लिखा गया है।

रामायण और रामचरितमानस में क्या अंतर है?

रामायण ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई थी, जो भगवान राम के समकालीन थे, रामचरितमानस की रचना तुलसीदास जी ने की थी। रामायण संस्कृत भाषा में लिखा गया था। रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखा गया था।

तुलसीदास किस भाषा का प्रयोग करते थे?

तुलसीदास संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। हालाँकि, वह चाहते थे कि राम की कहानी आम जनता के लिए सुलभ हो, क्योंकि कई अपभ्रंश भाषाएँ संस्कृत से विकसित हुई थीं और उस समय बहुत कम लोग संस्कृत समझ सकते थे।

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Aman

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